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Bharatiya Itihas Kosh

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अजमेर
नगर की स्थापना ११०० ई. में चौहान राजा अजयदेव ने की। ११९२ ई. में तरावड़ी की दूसरी लड़ाई में शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी के द्वारा पृथ्वीराज के पराजित होने पर इस नगर पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और तबसे यह बराबर मुसलमानी शासन में रहा। अकबर ने इसे अपने राज्य का एक सूबा बना दिया।

अजयदेव
गुजरात का शासक (११७४-७६ ई.)। उसने जैन मतावलम्बियों पर क्रूर अत्याचार किये और उनके नेता को मरवा डाला।

अजयदेव
एक चौहान राजा, जिसने ११०० ई. में अजमेर नगर की स्थापना की। उसने और उसकी रानी सोमलादेवी ने अपने सिक्के चलाये, जिनमें से कुछ पाये गये हैं।

अजातशत्रु
(जिसे कूणिक भी कहते हैं) मगध के राजा बिम्बिसार का पुत्र और उत्तराधिकारी। वह गौतम बुद्ध का समकालीन था। जनश्रुतियों के अनुसार अजातशत्रु अपने पिता की हत्या करके राजगद्दी पर बैठा था। वह शक्तिशाली राजा था और उसने वैशाली पर विजय प्राप्त करके तथा कोसल के राजा प्रसेनजित को पराजित करके काशी प्रदेश अपने राज्य में मिला लिया और कोसल की एक राजकन्या से विवाह करके मगध राज्यका विस्तार किया। उसने गंगा और सोन के संगम पर पाटलि ग्राम में किला बनवाया और पाटलीपुत्र नगर की नींव डाली। उसके राज्यकाल में ही जैन तीर्थंकर महावीर और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान गौतम बुद्ध का निर्वाण हुआ। अजातशत्रु जैन और बौद्ध दोनों का आदर करता था। भगवान बुद्ध के भिक्षुसंघ में फूट डालनेवाले उनके चचेरे भाई देवदत्तको भी उसका संरक्षण प्राप्त था। जन श्रुतियों के अनुसार गौतम बुद्ध के निर्वाण के बाद ही, राजगृह में उसके राज्यकाल में बौद्धों की प्रथम संगीति हुई थी। उसका राज्यकाल ई. पू. ५१६ से ई. पू. ४८९ के आस पास माना जाता है।

अज़ारी, शेख
एक शायर, जो खुरासान से नवें बहमनी सुल्तान अहमद (१४२२-३३ ई.) के दरबार में आया और जिसे सुल्तान ने अपनी नयी राजधानी बीदर के महल की तारीफ में दो कसीदे लिखने के लिए बहुत-सा धन दिया।

अज़ीजउद्दीन
१६ वें मुगल बादशाह आलमगीर द्वितीय (१७५४-५९ ई.) (दे.) का मूल नाम।

अजीत सिंह
मारवाड़ के राजा जसवन्त सिंह का पुत्र। उसका जन्म १६७९ ई. में लाहौर में पिता की मृत्यु के बाद हुआ। अजीत सिंह को दिल्ली लाया गया जहाँ औरंगजेब उसे मुसलमान बना लेना चाहता था। राठौर सरदार दुर्गादास बड़े साहस के साथ अजीत सिंह को दिल्ली से निकाल कर मारवाड़ ले गया। अजीत सिंह के मामलेको लेकर मारवाड़ के राठौर सरदारों और मेवाड़ के राणा तथा औरंगजेब में लम्बा युद्ध छिड़ गया जो १७०९ ई. तक चला, जब औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके लड़के और उत्तराधिकारी बादशाह बहादुरशाह प्रथम ने राजपूतों से सुलह कर ली। अजीत सिंह ने अपनी कन्या का विवाह बादशाह फर्रुखसियर से किया और उससे सुलह कर ली, जिससे मुगल दरबार में उसका प्रभाव बढ़ गया। सैयद बन्धुओं ने उसकी सहायता मांगी और उसको अजमेर-गुजरात का सूबेदार नियुक्त कर दिया। इस प्रकार अजमेर से पश्चिमी समुद्र तटतक का प्रदेश उसके अधीन हो गया। उसे हिन्दुओं को संगठित करके मुगल सल्तनत का तख्ता पलट देने का एक अच्छा अवसर मिला था, किन्तु उसने कोई लाभ नहीं उठाया। उसके लड़के भक्तसिंह ने रहस्यमय रीति से उसकी हत्या कर दी।

अजीमुद्दौला
१८०१ ई. में गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली (१७९८-१८०५ई.) द्वारा कर्नाटक का नाममात्र के लिए नवाब बनाया गया और उसे पेंशन दी। कर्नाटक का पूरा नागरिक और सैनिक प्रशासन ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपने हाथ में ले लिया था और बाद में पूरे क्षेत्र को ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य में मिला लिया गया।

अजीम-उल्लाह खां
पेशवा बाजीराव द्वितीय (१७९६-१८१८) के पुत्र नाना साहब (दे.) का वेतन-भोगी कर्मचारी। उसने १८५७ ई. का सिपाही विद्रोह कराने में गुप्तरूप से भाग लिया। उसने भारतीयों में अंग्रेज-विरोधी भावनाएँ उभाड़ीं। ऐसा समझा जाता है कि जब यूरोप में कीमिया की लड़ाई चल रही थी तो वह यूरोप गया और उसने नाना साहब और खसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया। वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी अंग्रेजों के अजेय होने की भावना नष्ट हो गयी। अजीम-उल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेजों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ।

अजीमुश्शान, शाहजादा
सातवें मुगल बादशाह बहादुरशाह प्रथम (१७०७-१७१२ ई.) का दूसरा पुत्र, जो अपने पिता की मृत्यु के बाद १७१२ ई. में उत्तराधिकार के युद्ध में मारा गया। एक वर्ष बाद उसका पुत्र फर्रुखसियर (१७१३-१७१९ ई.) बादशाह बना।


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