भारत का गवर्नर-जनरल (१८२३-२८ ई.)। उसके शासनकाल में प्रथम बर्मा-युद्ध (१८२४-२८ ई.) हुआ जिसके परिणामस्वरूप आसाम, अराकान और तेनासरीम ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिये गये। लार्ड ऐम्हर्स्ट युद्ध का संचालन सही ढंग से नहीं कर सका, जिससे भारतीय एवं अंग्रेजी सेना को बहुत नुकसान उठाना पड़ा और लड़ाई लम्बी चली। इस लड़ाई के दौरान दो घटनाएं घटीं। पहले ४७ वीं पलटन के देशी तोपखाने के सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया क्योंकि उनको जबर्दस्ती समुद्रपार भेजा जा रहा था। उनकी कुछ दूसरी शिकायतें भी थीं। उनका विद्रोह अंग्रेजतोपखाने और दो अंग्रेज पलटनों की मदद से निर्दयतापूर्वक कुचल दिया गया। दूसरी घटना यह घटी कि भरतपुर की गद्दी के एक दावेदार दुर्जन सिंह ने १८२४ ई. में विद्रोह कर दिया और अपने को 'राजा' घोषित कर दिया। अंग्रेजों ने १८२५ ई. के शुरू में भरतपुर किले पर चढ़ाई करके उसे अपने कब्जे में ले लिया। लार्ड ऐम्हर्स्ट के समय में १८२४ ई. में कलकत्ते में गवर्नमेन्ट संस्कृत कालेज की स्थापना की गयी। बाद में एम्हर्स्ट ने पारिवारिक कारणों से गवर्नर-जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया।