बाँगलादेश की राजधानी। यह नगर ब्रह्मपुत्र और गंगा (पद्मा) को जोड़नेवाली बूढ़ी गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है। ढाका १६०८ ई. में मुगलों के सूबा बंगाल का मुख्यालय था और उसका नाम बादशाह जहाँगीर के नाम पर जहाँगीर नगर कर दिया गया था। आसाम पर मुगलों का पहला हमला ढाका से ही किया गया था जब मीर जुमला वहाँ से बढ़ता हुआ उत्तरी आसाम में अहोम राज्य की राजधानी तक पहुँच गया था। वहाँ से मीर जुमला ढाका वापस लौट आया और कुछ समय बाद वहीं उसकी मृत्यु हो गयी। मीर जुमला के उत्तराधिकारी शायस्ता खाँ ने १६६३ ई. से तीस वर्षों तक बंगाल का शासन ढाका से ही किया। इंग्लैण्ड की ईस्ट इंडिया कंपनी ने महीन बढ़िया सूती वस्त्रों, विशेषरूप से मलमल का, जिसको बनाने में ढाका के बुनकरों का बड़ा नाम था, व्यापार करने के लिए ढाका में एक कोठी स्थापित की। १७०५ ई. में जब मुर्शिद कुली खां बंगाल का सूबेदार बना तो वह मुख्यालय ढाका से हटाकर मुर्शिदाबाद ले गया। इसके बाद दो सौ वर्षों तक ढाका उपेक्षित रहा। १९०५ ई. में वह पूर्वी बंगाल और आसाम प्रांत का सदर मुकाम बना दिया गया। लेकिन उसको यह गौरव कुछ ही समय तक हासिल रहा, क्योंकि १९१२ ई. में पूर्वी बंगाल के जिले पुनः बंगाल में मिला दिये गये और आसाम को चीफ कमिश्नर के अधीन अलग प्रांत बना दिया गया। १९२० ई. में ढाका में विश्वाद्यालय की स्थापना हुई और १९४७ ई. में भारत की आजादी और विभाजन के बाद वह पूर्वी पाकिस्तान की राजधानी बना दिया गया। दिसम्बर १९७१ ई. में पाकिस्तान की तानाशाही के खिलाफ ऐतिहासिक लड़ाई जीतकर पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र सार्वभौम गणतंत्र 'बांगला देश' बन गया और ढाका उसकी राजधानी हो गयी।