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Bharatiya Itihas Kosh

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गंग राजा
द्वारसमुद्र के राजा विष्णुवर्धन (लगभग १११०-४१) का मंत्री। विष्णुवर्धन विष्णु का अनन्य उपासक था, जबकि गंग राजा जैन था और उसने बहुत से जैन मंदिरों का निर्माण कराया।

गंगवंश
दूसरी से ग्यारहवीं शताब्दी ई. तक मैसूर के अधिकांश भाग का शासक। इस वंश के प्रथम शासक कोंगनि वर्मा ने अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की और अपने राज्य का काफी विस्तार किया। उसके उत्तराधिकारियों ने भी दक्षिण भारत के राजाओं के बीच होनेवाले युद्धों में महत्तवपूर्ण भूमिका अदा की। कुछ समय तक वे पल्लवों की अधीनता में रहे। दसवीं शताब्दी के गंग राजा जैन धर्म के आश्रयतदाता थे। ९८३ ई. में गंग राजा राजमल्ल चतुर्थ के मंत्री चामुण्डराय ने श्रवण-बेलगोला में गोमटेश्वर की साढ़े छप्पन फूट ऊँची विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया। गंगों की शक्ति को विष्णुवर्धन (लगभग १११०-४१) ई. ने तलकाड के युद्ध में नष्ट कर दिया। (डूबरनिल.)

गंगवंश (पूर्वी)
मैसूर के गंगवंश की ही एक शाखा, जिसने कलिंग या उड़ीसा पर शासन किया। इस वंश का संस्थापक वज्रहस्त था, जिसके पुत्र और उत्तराधिकारी राजराज प्रथम ने राजेन्द्र चोलदेव द्वितीय (१०८०-१११८ ई.) की पुत्री राजसुंदरी से विवाद किया। इस वैवाहिक संबंध ने इस वंश की शक्ति अत्यधिक बढ़ा दी और राजराज प्रथम का पुत्र अनंतवर्मा चोलगंग (१०७८-११४८ ई.) (दे.) उत्तर की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार करने में समर्थ हुआ। अनंतवर्मा चोलगंग ने ७० वर्ष तक शासन किया और उसके राज्य में मद्रास के कुछ उत्तरी जिले भी शामिल थे। उसके पास शक्तिशाली नौसेना थी और उसने बंगाल की दक्षिणी सीमापर बार-बार हमले किये। अनंतवर्मा के बाद उसके उत्तराधिकारी चार पुत्रों ने कुल मिलाकर एक के बाद एक ६० वर्ष तक राज्य किया। इस अवधि में तुर्कों के हमले शुरू हो गये थे। पूर्व के गंग राजा इनको रोक नहीं पाये। अनंतवर्मा के चार पुत्रों के बाद इस वंश के नौ और राजाओं ने उस समय तक शासन किया, जब तक अंतिम राजा नरसिंह चतुर्थ (१३८४-१४०२ ई.) को तुर्कों ने उखाड़ नहीं फेंका। पूर्वी गंग शासक कला के महान् संरक्षकों में से थे। पुरी (उड़ीसा) का प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर और मुखलिंगम् (उड़ीसा) स्थित राज राजेश्वर मंदिर पूर्वी गंग शासकों के कलाप्रेम के भव्य प्रतीक हैं। गंग शासकों द्वारा निर्मित ये दिर भारत में आज भी अपना सानी नहीं रखते। (बनर्जी. पृ. २७०, स्मिथ. पृ. ४९८)

गंगा
हिन्दुओं की सबसे पवित्र नदी। इसके तटों पर अनेक नगर बसे हुए हैं, जिनमें सबसे प्राचीन और पवित्र वाराणसी (दे.) है। प्रसिद्ध ऐतिहासिक राजधानी पाटलिपुत्र गंगा और वाणिज्य के प्रमुख केन्द्र कलकत्ता महानगर को भी गंगा की ही एक सहायक नदी के तट पर बसाया गया। गंगा की मिट्टी उत्तर भारत के अधिकांश भूभाग को उर्वर बनाती है। गंगा की घाटी आज भी भारत का हृदयस्थल मानी जाती है। गंगा और यमुना के बीच दोआब का क्षेत्र भारत का सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने भारत में अनेक वंशों का उत्थान और पतन देखा है।

गंगाधर शास्त्री
बड़ौदा के गायकवाड़ का मुख्यमंत्री। अंग्रेजों से उसकी गाढ़ी मित्रता थी। इसलिए पेशवा बाजीराव द्वितीय (१७९६-१८१८ ई.) उससे नाराज हो गया। पेशवा और गायकवाड़ के बीच कुछ पुराने विवादों को तय करने के उद्देश्य से गंगाधर शास्त्री १८१४ ई. में पूना भेजा गया। पेशवा उसको वहां से नासिक ले गया। नासिक में पेशवा के हार्दिक मित्र त्र्यम्बकजी ने उसकी हत्या करा दी। गंगाधर शास्त्री की हत्या को ब्रिटिश भारतीय सरकार ने अमैत्रीपूर्ण कार्य समझा और परोक्ष रूप से यही तीसरे मराठा-युद्ध (दे.) का कारण बना।

गंगाबाई
पेशवा नारायणराव (१७७२-७३ ई.) की पत्नी। पेशवा की हत्या चाचा राघोवा के इशारे पर अगस्त १७७३ ई. में कर दी गयी। अगले वर्ष विधवा गंगाबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम माधवराव नारायणराव रखा गया। माधवराव १७७४ से १७९६ ई. तक पेशवा रहा।

गंगासिंह, सर, महाराज
राजपूताना स्थित बीकानेर के १८८७ से १९३४ ई. तक शासक। वे प्रगतिशील भारतीय राजा थे। १९२१ से १९२५ ई. तक वे नरेन्द्रमण्डल (चैम्बर आफ प्रिंस) के प्रथम चांसलर रहे। दिल्ली में हुए नरेन्द्र-सम्मेलन का उन्हें महामंत्री बनाया गया (१९१६-२० ई.)। प्रथम विश्व-युद्ध के समय उन्होंने अपने सारे साधनस्रोत ब्रिटिश सरकार की सहायता में लगा दिये। व्यक्तिगत युद्ध-सेवा की इच्छा प्रकट करने पर उन्हें फ्रांस-स्थित ब्रिटेन के प्रधान सेनापति सर जान फ्रेंच के स्टाफ में नियुक्त किया गया।

गंगू
फरिश्ता' के अनुसार दिल्ली का एक ब्राह्मण ज्योतिषी और बहमनी राज्य के संस्थापक हसन का गुरु। कहा जाता है उसने हसन की महानता के बारे में पहले से ही भविष्यवाणी कर दी थी। इस किंवदंती की पुष्टि अन्य इतिहासग्रंथ या सिक्कों और अभिलेखों के प्रमाण से नहीं होती है।

गंगे कोंड
एक उपाधि, जिसे चोल नरेश राजेन्द्र चोलदेव प्रथम (१०१८-३५ ई.) ने बंगाल के राजा महिपाल या गंग राजाओं पर विजय पाने के उपलक्ष्य में धारण किया। इस विजय के उपलक्ष्य में ही उसने गंगे कोंड-चोलपुरम् के नाम से एक नया नगर भी बसाया था। (स्मिथ.)

गंजाम
उड़ीसा का एक नगर, जो ६१९ ई. में कन्नौज के सम्राट हर्षवर्धन (६०६-४७ ई.) के प्रतिद्वन्द्वी और समकालीन बंगाल के राजा शशांक के नियंत्रण में था। ६४८ ई. में हर्ष ने हमला कर इस पर अपना अधिकार स्थापित किया। इस समय यह महत्त्वपूर्ण समृद्ध नगर है।


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