logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Bharatiya Itihas Kosh

Please click here to read PDF file Bharatiya Itihas Kosh

मंगलूर की संधि
ईस्ट इंडिया कम्पनी और मैसूर के टीपू सुल्तान के बीच १७८४ ई. में हुई। इस संधि के फलस्वरूप दूसरे मैसूर युद्ध (दे.) का अन्त हो गया, जो १७८१ ई. में शुरू हुआ था। इस संधि के द्वारा दोनों पक्षों ने एक दूसरे के छीने गये इलाके वापस लौटा दिये।

मंगोल
छोटी आँख, पीली चमड़ीवाली एक जाति, जिसके दाढ़ी-मूँछ नहीं होती। मंगोलों के कई समूह विविध समयों में भारत में आये और उनमें से कुछ यहीं बस गये। चंगेज खाँ (दे.), जिसके भारत पर हमला करने का खतरा १२११ ई. में उत्पन्न हो गया था, मंगोल था। इसी प्रकार तैमूर भी, जिसने भारत पर १३९८ ई. में हमला किया, मंगोल था। परन्तु चंगेज खाँ और उसके अनुयायी मुसलमान नहीं थे, तैमूर और उसके अनुयायी मुसलमान हो गये थे। मंगोल लोग ही मुसलमान बनने के बाद 'मुगल' कहलाने लगे। १२११ ई. में चंगेज खाँ तो सिंध नदी से वापस लौट गया, किंतु उसके बाद मंगोलों ने और कई आक्रमण किये। दिल्ली के बलवन (दे.) और अलाउद्दीन खिलजी (दे.) जैसे शक्तिशाली सुल्तानों को भी मंगोलों का हमला रोकने में एड़ी-चोटी का पसीना एक कर देना पड़ा। १३९८ ई. में तैमूर के हमले ने दिल्ली की सल्तनत की नींवें हिला दीं और मुगल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर दिया, जिसने अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन की स्थापना होने तक इस देश में राज्य किया।
+

मण्डी, पीटर
यूरोपीय यात्री जो जहाँगीर के शासनकाल में भारत आया। उसने भारत का बड़े ही रोचक शब्दों में आंखों देखा विवरण प्रस्तुत किया है, जो तत्कालीन भारत की सामाजिक और आर्थिक दशा पर विशेष प्रकाश डालता है।
6789+

मंदसोर
मालवा का एक प्राचीन नगर, जो प्रसिद्ध पुरानी राजधानी उज्जयिनी से अधिक दूर नहीं है। संभवतः महाकवि कालिदास (दे.) का निवास इसी नगर में था। निश्चय ही राजा यशोधर्मा (लगभग ५३ ई.) की राजधानी यहीं थी। यशोधर्मा ने हूण राजा मिहिरगुल (दे.) को परास्त किया और आसाम तक के प्रदेशों को जीता।

मंसूर अली खाँ (१८२९-८४ ई.)-
बंगाल का अंतिम नवाब नाजिम। इससे पहले मुर्शिदाबाद के नवाबों को १९ तोपों की सलामी का हक मिला हुआ था। उन्हें दीवानी अदालतों में हाजिर नहीं होना पड़ता था। ये समस्त अधिकार उससे छीन लिये गये, उसके वेतन और भत्ते में भी कमी कर दी गयी। मंसूर अली खाँ स्वयं इंग्लैड गया और वहाँ हाउस आफ कामन्स में अपील की, परंतु वह नामंजूर हो गयी। फलस्वरूप १८८० ई. में उसने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

मंसूर, ख्वाजा शाह
बादशाह अकबर का पहला दीवान और विश्वासपात्र, किन्तु उसने अकबर के भाई मिर्जा विश्वासपात्र, किन्तु उसने अकबर के भाई मिर्जा हकीम से मिलकर उसके खिलाफ साजिश की और १५८१ ई.में उसे अकबर के हुक्म से फाँसी दे दी गयी।

मअवर
मुसलमान इतिहासकारों द्वारा दिया गया कारोमंडल तट का नाम। इसे अलाउद्दीन खिलजी (दे.) ने जीता, परन्तु १३३४ ई. में यह अहसानशाह के अधीन स्वतंत्र राज्य बन गया।

मकाओ
चीन के तट के समीप एक पुर्तगाली बस्ती, जिसे १८०९ ई. में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने छीन लिया। (अब भी यह द्वीप पुर्तगाल सरकार के अधीन है।-सं.)

मक्का
पैगम्बर मुहम्मद साहब का जन्म-स्थान। मुसलमानों- के लिए अरब का यह पवित्र तीर्थस्थान है और प्रतिवर्ष भारत से हजारों मुसलमान वहाँ जाते हैं।

मगध
दक्षिण बिहार के पटना तथा गया जिलों का एक जनपद। यह अत्यंत प्राचीन राज्य था और इसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है। ऐतिहासिक काल में इस पर जिस राजवंश का शासन था, उसीमें बिम्बिसार हुआ जो जैन धर्म के प्रवर्तक वर्धमान महावीर तथा बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध का समसामयिक था। बिम्बिसार दोनों का उपासक था। उसने अंग अथवा पूर्व बिहार (भागलपुर जिला) पर अधिकार करके तथा कोशल और वैशाली के राजघरानों से विवाह सम्बन्ध करके मगध राज्य का विस्तार किया। बिम्बिसार के पुत्र तथा उत्तराधिकारी अजातशत्रु ने वैशाली (तिरहुत) को अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया, कोशल को पराजित किया तथा गंगा और सोन नदी के संगम पर स्थित पाटलिग्राम में दुर्ग बनवाया। बिम्बिसार के राजवंश के बाद के राजाओं ने इसी दुर्ग के चारों ओर पाटलिपुत्र अथवा कुसुमपुर नगर बसाया। एक और बाद का राजा राजधानी गिरिव्रज से उठा कर पाटलिपुत्र ले आया। इस प्रकार मगध राज्य के साथ पाटलिपुत्र का नाम जुड़ गया।
राजा महापद्मनन्द की राजधानी भी पाटलिपुत्र थी। उसने बिम्बिसार के राजवंश का उच्छेदन किया और मगध राज्य का विस्तार पूर्व में कलिंग (उड़ीसा) से लेकर पश्चिम में पंजाब में ब्‍यास नदी तक किया। 'प्रेसिआई' के राजा (यूनानी इतिहासकारों ने मगध के राजा का उल्लेख इसी नाम से किया है) की सेनाओं से मुठभेड़ होने के भय से ही सिकन्दर की सेनाओं ने ब्यास नदी से आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और सिकन्दर को वापस लौटना पड़ा। मौर्य राजा चन्द्रगुप्त (दे.) ने नन्द वंश का उच्छेद कर दिया और चौथी शताब्दी ई. पू. के उत्तरार्द्ध में मगध साम्राज्य को देश की सबसे मुख्य राज्यशक्ति बना दिया। मगध साम्राज्य का विस्तार पश्चिम में हिन्दूकुश से लेकर पूर्व में कलिंग तक हो गया। वह संभवतः दक्षिण में भी विस्तृत था। चन्द्रगुप्त के पौत्र अशोक (दे.) ने कलिंग विजय करके उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। इसके बाद ही अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया और अपने विशाल साम्राज्य के समस्त साधनों को सभी मनुष्यों के कल्याण तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए प्रयुक्त करने लगा। इस प्रकार मगध ने एक नये राज्यादर्श की प्रतिष्ठापना की और भारतीय इतिहास को नयी एकता प्रदान की।


logo