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Awadhi Sahitya-Kosh

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अमीर खुसरो
मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म सन् १२५४ ई. (६५२ हि.) में एटा (उ.प्र.) के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था। इनकी माँ बलवन के युद्ध मंत्री इमादुतुल मुल्क की लड़की, एक भारतीय मुसलमान महिला थीं। इनकी प्रतिभा बाल्यावस्था से ही काव्योन्मुख थी। इनमें उच्च कल्पनाशीलता के साथ-साथ सामाजिक जीवन के उपयुक्त कूटनीतिक व्यवहार-कुशलता की दक्षता मौजूद थी। खुसरों ने अपना सम्पूर्ण जीवन राज्याश्रय में बिताया। इन्होंने गुलाम, खिलजी और तुगलक तीन अफगान राजवंशों तथा ११ सुल्तानों का उत्थान-पतन देखा। जलालुद्दीन खिलजी ने खुसरों को अमीर की उपाधि प्रदान की। ये मुख्यरूप से फारसी के कवि थे किन्तु इन्होंने हिन्दी को भी अपनी प्रतिभा समर्पित कर हिन्दी साहित्य में प्रमुख स्थान प्राप्त किया। इनकी हिन्दी रचनाओं में मुकरी, पहेली आदि रूपों में जो काव्य-सृजन हुआ उसमें मुख्यतः अवधी के दर्शन होते हैं। अपने गुरू शेख निजामुद्दीन की मृत्यु को ये सहन नहीं कर सके अन्ततः ६ माह बाद सन् १३२५ ई. मे इन्होंने अपनी इहलीला समाप्त कर दी।

अमृतवाणी
यह दुर्गादास जी कृत अवधी ग्रंथ है। इसका प्रकाशन सन् १९८७ में लखनऊ से हुआ। इसके संपादक एवं प्रकाशक श्री रामनारायण चौधरी आई.ए.एस. (सेवानिवृत्त) हैं।

अम्बिका प्रसाद
द्विवेदी युग में अवधी काव्यधारा को जीवनदान देने वालों में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इनका साहित्य अभी अप्रकाशित है।

अयोध्या
ये रायबरेली के निवासी हैं। इन्होंने अवधी भाषा में फाग सृजित किये हैं।

अयोध्या प्रसाद बाजपेयी ’औथ’
पं. अयोध्या प्रसाद बाजपेयी ’औध कवि’ ग्राम सातन पुरवा, जिला रायबरेली के निवासी थे। इनका काव्य काल संवत् १८६० से १९४२ तक रहा। डा. धीरेन्द्र वर्मा ने अपने सम्पादित ग्रन्थ हिन्दी साहित्य-कोश भाग २, पृ. २० में औध कवि के ग्रन्थों का उल्लेख इस प्रकार किया है- अवध शिकार, रागरत्नावली, साहित्य सुधासागर, राम कवितावली, छन्दानन्द, शंकर शतक ब्रज ब्रज्यो, चित्र काव्‍य, तथा रास सर्वस्व।

अरविन्द कुमार द्विवेदी
द्विवेदी जी का अधिक विवरण तो उपलब्ध नहीं है, फिर भी इतना निश्चित है कि आंधी-पानी’ जैसी अनेक कृतियाँ सृजित की हैं, जिनका अवधी में काफी सम्मान हुआ है।

डा. अरुण कुमार त्रिवेदी
डा. त्रिवेदी का जन्म २४ जून १९४० ई. को उन्नाव जनपद के रावतपुर ग्राम में हुआ था। ये अवधी के सुविख्यात कवि एवं साहित्यकार चन्द्रभूषण त्रिवेदी ‘रमई काका’ के सुपुत्र हैं। त्रिवेदी जी सीतापुर के आर. एम. पी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं। ‘युद्ध मुद्रा’ नाम से नई कविताओं का संकलन इनका प्रकाशित है। इन्होंने अवधी में ’नई कविता’ और अच्छे गीतों की रचना की है। आस, जिन्दगी, क्रांति और गाँव इनकी अवधी की रचनायें हैं। इनकी अवधी बैसवारी से प्रभावित है।

अली मुराद
अली मुराद की गणना हिन्दी के अवधी सूफी कवियों में की जाती है। इनकी प्राप्य काव्यकृति है- ‘कथा कुँवरावत’ इनके जीवन वृत्त विषयक तथ्य उपलब्ध नहीं हैं। आत्मोल्लेख के नाम् पर कवि ने अपने ग्रन्थ के मध्य में अपना नाम लिया है तथा अपने गुरू के सम्बन्ध में कुछ कहा है। कवि ने अपने गुरू का नाम फखरुद्दीन दिया है, जो हज़रत निजामुद्दीन औलिया के पुत्र तथा उनकी शिष्य परम्‍परा में आते हैं। इनकी कृति ‘कथा कुँवरावत’ के आद्यंत अध्ययन से ज्ञात होता है कि कवि लोकजीवन का पारखी था तथा बहुज्ञ भी। नक्षत्र तिथि तथा ज्योतिष आदि का कवि को अच्छा ज्ञान था। ‘कथा कुँवरावत’ पूर्णतः काल्पनिक है। अपनी इस कृति के माध्यम से कवि सूफी सिद्धान्तों की विवेचना में पूर्ण प्रयत्नशील रहा है। यही कारण है कि साधना पद्धति तथा परम्परा की दृष्टि से कवि पूर्णतः सूफी है। शरीयत के नियमों की विस्तृत विवेचना तथा गुरू महिमा, ब्रहम स्वरूप, जीव परमात्मा के सम्बन्ध में उसने अपने विचार व्यक्त किये हैं। कवि की दृष्टि में जीवन का साध्य है-प्रेम। कवि की काव्य-भाषा अवधी है, जिसमें लोक-भाषा का सौन्दर्य परिलक्षित होता है।

अवध ज्योति
अवध भारती समिति द्वारा प्रकाशित यह एक अवधी पत्रिका है, जिसका प्रकाशन सन् १९९४ से प्रारम्भ हुआ जो अबाधगति से अभी चल रहा है।

अवध भारती समिति
यह बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ क्षेत्र में स्थित एक साहित्यिक संस्था है, जो अवधी भाषा के प्रचार-प्रसार का कार्य करती है ‘जोंधइया’ नामक पत्रिका सन् १९९०-९४ के बीच १० अंकों में प्रकाशित हुई, जिसमें लगभग १५० कवियों को प्रकाश में लाया गया, जो अप्रकाशित थे। १९९४ से ‘अवध-ज्योति’ पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है।


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