तिवारी जी का जन्म बराबंकी जनपद के याकूत गंज नामक ग्राम में ३० मई सन् १९३३ को हुआ, किन्तु इनका लालन पालन लखनऊ में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से हिन्दी से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। अनेक विभागों में सेवा करते हुए इन्होंने काव्य सृजन भी शुरू किया। प्रारम्भ में अवधी भाषा को माध्यम बनाया बाद में खड़ी बोली अपना ली। इनकी कृतियाँ हैं- हीरक कण (लघु कथा में), जय बांग्ला (उपन्यास), बाल-साहित्य में इनकी कृतियाँ हैं- जब वे मौत से मिलने चले (शहीदों की कहानियाँ), बौड़म बसंत (हास्य-व्यंग्य) आदि। अवधी में इन्होंने अनेक हास्य नाटक लिखे, जैसे- भूखा भेड़िया, मंगरे मामा, स्वांग हरि के जन जगमग दीप जले आदि। ये लखनऊ दूरदर्शन से प्रसारित भी हो चुके हैं। इनका हास्य-व्यंग्य-लेखकों में सम्मानित स्थान है।
इन्द्रदत्त
ये द्विवेदीयुगीन अवधी काव्य-धारा के रचनाकार हैं।
इन्द्रगोपाल सिंह ‘इन्द्र’
ख्याति प्राप्त अवधी कवि रघुनाथ सिंह चौहान के पुत्र इन्द्रजी का जन्म सं. १९८२ वि. में भवानीपुर ग्राम में हुआ था। साहित्यानुराग इन्हें विरासत में मिला। शिक्षा न के बराबर ही रही। इन्होंने भक्त प्रह्लाद’ नामक पुस्तक की रचना की है। इसके अतिरिक्त अनेक स्फुट रचनाएँ हैं। छंद, गीत, पद आदि भी लिखे हैं। इनकी अवधी सामान्य जन-भाषा है।
इन्द्रावती
यह नूर मोहम्मद कृत अवधी प्रेमाख्यान है। इसमें कलिंग के राजकुमार राजकुँवर और आगमपुर की राजकुमारी इन्द्रावती की प्रेम-कथा वर्णित है। हर पाँच चौपाइयों के बाद दोहा का योग हैं। भाषा में संस्कृत और ब्रज के भी शब्द प्रयुक्त हुए हैं।
इश्क विनोद
यह सुल्तानपुर निवासी सीता प्रसाद कृत अवधी रचना है। इसमें बरवै छंद का प्रयोग हुआ है।