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Awadhi Sahitya-Kosh

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संकटाप्रसाद सिंह ’देव’
इनका विस्तृत विवरण तो अनुपलब्ध है, किंतु इतना अवश्य विवरण प्राप्त हुआ है कि इन्होंने अवधी में ‘शिवचरितामृतम’ नामक कृति सृजित की है।

संगम लाल
ये उन्नाव जनपद के टेढ़ा बिहग गाँव के निवासी थे और ब्राह्मण परिवार में उत्पन्न हुए थे। इनका रचनाकाल सं. १८६१ से १८६४ तक माना गया है। सीतामऊ के राजा राजसिंह इनके आश्रयदाता थे। इन्होंने स्फुट रचनाएँ की हैं, जिनमें अवधी रचनाओं की संख्या सर्वाधिक है।

संजय सिंह
इनका विवरण तो अनुपलब्ध हैं, किन्तु इन्होंने जो अवधी साहित्य सेवा की है। उसमें ‘फरवार से बखर तक’ एक है। यह उनका अवधी उपन्यास है। ये सुल्तानपुर के निवासी हैं।

संतोषकुमार मिश्र ‘चक्रवाक’
मिश्र जी सीतापुर जनपद के निवासी हैं। इन्होंने तमाम व्यस्तताओं को निपटाते हुए अपना साहित्यिक प्रेम बरकरार रखा है। इन्होंने अवधी को अपना भाषा केन्द्र बनाकर साहित्य-सर्जना की है।

संवंश शुक्ल
विहगपुर निवासी शुक्ल जी भारतेन्दु युग के अवधी कवि हैं। इनका अवधी साहित्य अप्रकाशित है।

सगुन गीत
अवधी लोक गीतों में सगुन गीत का अपना विशिष्ट स्थान है, जो स्त्री वर्ग द्वारा मंगलभावना से विभिन्न अवसरों पर गाये जाते हैं। इसमें वाद्ययंत्रों का प्रयोग नहीं होता। सगुन का तत्सम ‘शकुन’ है, जिसका अर्थ है ‘पक्षी’ जो प्रसन्नता एवं कल्याण-भावना के प्रतीक माने जाते हैं। सम्भवतः इसीलिये वर कन्या के मंगल हेतु प्रथमतः अभ्यर्थना पक्षियों से ही की जाती है।

सच्चिदानंद तिवारी ‘शलभ’
इनका जन्म २२ जुलाई सन् १९५१ में सीतापुर पुर जनपद के मदारीपुर, देवसिंह (अटरिया ) में हुआ। इनके पिवाजी का नाम श्री सुन्दर लाल तिवारी है। इनका साहित्यिक क्षेत्र में बड़ा योगदान है। अवधी सहित्य सेवा इनकी अतिविशिष्ट हैं। इन्होंने जोंधैया, बिरवा, आखत, अवध-ज्योति आदि पत्रिकाओं के माध्मय से अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की हैं। शलभ जी ने ‘तड़िता’ नामक अवधी काव्यधारा का प्रवर्तन किया है, जो सर्वथा नवीन एवं ग्राह्य हैं। इनका यह काव्‍यान्दोलन विद्वानों के बीच काफी प्रेरक एवं प्रशंसनीय सिद्ध हुआ है। सम्प्रति शलभ जी ५३६/१५८ क, मदेहगंज, डाकघर- निराला नगर, लखनऊ-२० में रह रहे हैं।

सतनजा
यह श्री लक्ष्मण प्रसाद मित्र द्वारा १९३३-१९८७ ई. के बीच रचित अवधी कविताओं का संकलन है, जो अवधी अध्ययन केन्द्र, लखनऊ द्वारा प्रकाशित हुआ है। इसका ऐश्वर्य एवं सरोकार अवधी कविता की अनमोल धरोहर से हैं।

सतीश आर्य
गोण्डा निवासी आर्य जी अवधी साहित्य के अल्पख्यात साहित्यकार हैं।

सत्यधर शुक्ल
शुक्ल जी का जन्म १६ जनवरी, १९३६ ई. को खीरी लखीमपुर जनपद के मन्योरा गाँव में हुआ था। ये अवधी सम्राट पं. वंशीधर शुक्ल जी के सुपुत्र हैं। इन्होंने ‘ध्रुव’ महाकाव्य का सृजन कर अत्यन्त प्रसिद्धि को प्राप्त हुए हैं। इनकी अन्य अवधी रचनाएँ हैं- बसंत का बियाहु (खण्ड काव्य), अरधान आदि शुक्ल जी खड़ी बोली में भी काव्य सृजन किया है जैसे ‘आर्यावर्त’ काव्य-संग्रह।


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