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Awadhi Sahitya-Kosh

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रघुनाथदास
इन्होंने विश्राम मानस (नाटक प्रतीकात्मक) ग्रन्थ का प्रणयन किया था, जिसकी भाषा अवधी है। शेष विवरण अप्राप्त है।

रधुनाथदास ‘रामसनेही’
बाबा रघुनाथदास अयोध्या में रामानुज सम्प्रदाय के गद्दीधर महात्मा हरीराम जी के शिष्य थे। इन्होंने सं. १९११ वि. में ‘विश्रामसागर’ नामक ग्रन्थ का प्रणयन किया था। ‘विश्राम सागर’ तुलसीदास की दोहा-चौपाई शैली पर लिखा गया ग्रन्थ है। भाषा अवधी है।

रघुनाथ सिंह चौहान
इनका जन्म सन् १९१० में ग्राम भवानीपुर, पोस्ट-इन्दौराबाग निकट बख्शी का तालाब जनपद लखनऊ के एक कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री भगवान दीन सिंह है। पारंपरिक भक्त कवि के रूप में इनका विपुल साहित्य है। निखिल हिन्दी परिषद लखनऊ ने सन् १९८४ में छंदकार दिवस पर इनको यथोचित सम्मानित किया था। इनकी अवधी कृतियाँ हैं- गणेशचरित (महाकाव्य), चौबीसा, पचीसा, चालीसा, साठिका आदि लगभग ३३ ग्रंथ। इनका एक मात्र श्री चन्द्रिका देवी चालीसा प्रकाशित हो सका है। इसके अतिरिक्त इन्होंने कीर्तन-भजन भी लिखे हैं।

रघुराज सिंह
ये बैसवाड़ा क्षेत्र के भारतेन्दु युगीन अवधी कवि हैं।

रघुवंश
ये द्विवेदी युग की अवधी काव्यधारा से जुड़े हुए रचनाकार हैं। अवधी साहित्य में इन्होंने काफी योगदान किया है।

रतना-तुलसी
यह श्री विश्वनाथ सिंह ‘विकल’ कृत अवधी रचना है, जिसका प्रकाशन सन् १९७६ ई. में हुआ था।

रत्नकुँवरि बीवी
ये कृष्ण-भक्त कवयित्री एवं राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद की दादी थीं। इनका पूरा जीवन भगवद्भक्ति में बीता। सं. १८५७ वि. में इन्होंने ‘प्रेमरत्न’ नामक प्रबन्ध-काव्य की रचना दोहा-चौपाईं छंद में की थी, जिसकी भाष ब्रज मिश्रित अवधी हैं। इस कृति में भक्ति भावना से सराबोर कृष्ण-चरित्र का निरूपण हुआ है।

रमाकांत श्रीवास्तव
श्रीवास्तव जी उन्नाव जनपद के निवासी हैं। ग्रामीण जीवन और प्राकृतिक सौन्दर्य का इनके हृदय पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इनकी भाषा में अवधी का शुद्ध रूप विद्यमान है। भाषा में ठेठ ग्रामीण शब्दावली का प्रयोग है साथ ही कुछ नयापन भी।

रमाकान्त श्रीवास्तव
इनका जन्म सन् १९२० में रायबरेली जनपद के लालगंज क्षेत्र के पूरे मोहनलाल में हुआ था। ‘वीरभारत’, ’जयभारत’ आदि पत्रों के संपादन कार्य में भी सहयोगी बने। अब उ.प्र. सरकार के ‘श्रमजीवी’ में सहायक रूप में कार्यरत हैं। सन् १९३६ से ही इनकी अवधी रचनाएँ निकलने लगीं थीं।

रमेशचंद ‘सुकंठ’
१ जनवरी सन् १९२० को जन्में सुकंठ जी भटौली बेहंदरि, जनपद हरदोई के निवासी एवं प्रसिद्ध अवधी साहित्यकार हैं। इनके पिता का नाम गजोधर प्रसाद है। इन्होंने चकबंदी गीत, बटोही गीत, नामक रचनाएँ अवधी भाषा में सृजित की है।


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