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Awadhi Sahitya-Kosh

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नंदकिशोर शाकिर
शाकिर जी का जन्म २२ अगस्त १९२० ई. को सीतापुर जनपद के महमूदाबाद कस्बे में हुआ था। ये एक क्रांतिकारी के रूप में कांग्रेस पार्टी से सम्बद्ध थे और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के सन्निकट थे। ‘बड़कवा मुच्याटा’ आल्हा छंद में इनकी सुप्रसिद्ध रचना है। सबकार बंद, बाजार बंद, भयउ भइया कइसे मिनिस्टर आदि इनकी अवधी रचनाएँ है। २४ जून १९३१ ई. को इनका असामयिक निधन हो गया।

नकटा
इसके दो नामान्तर अवध में प्राप्त होते हैं - १. नकटा, २. नकटौरा। यह लोकगीत विवाहोत्सव पर स्त्रियों द्वारा उनकी गुप्त गोष्ठी में गाए जाते हैं। नकटौरा लोकनाट्य भी है, जो विवाह हेतु वर के प्रस्थान कर जाने के बाद सूने घर में काल यापन के उद्देश्य से गाया और मंचित किया जाता है।

नखत
यह सन् १९९२ से नखत-१, नखत-२ के रूप में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण परिचयात्मक अवधी पुस्तक है, जिसके माध्यम से अधुनातन अवधी के ११ कवियों का संग्रह प्रकाशित हुआ। इसमें अवधी कविता की विभिन्न शैलियों का परिचय दिया गया है।

नजफ अली सलोनी (शाह)
शाह नजफ अली रीवाँ नरेश विश्वनाथ सिंह के आश्रय में रहते थे। कहा जाता है कि शाह नजफ अली अन्धे थे। सं. १८९० में इन्होंने ’प्रेम चिनगारी’ नामक काव्य कृति की रचना की थी, जो अवधी भाषा में है।

ननकऊ सिंह
ये रायबरेली जनपद के निवासी एक अवधी साहित्यकार हैं। इन्होंने ‘जंगनामा’ (अवधी काव्य) का सृजन किया है।

नन्दकुमार अवस्थी
ये रानी कटरा, लखनऊ के निवासी एवं आधुनिक अवधी साहित्यकार हैं। इन्होंने ‘कृतिवास रामायण’ का सन् १९५९ में बंगला भाषा से अवधी में अनुवाद सम्पन्न किया था।

नरपति व्यास
ये १९वीं शताब्दी के अवधी साहित्यकार हैं। इन्होंने सं. १९६२ में ‘नल दमयंती की कथा’ नामक प्रेमाख्यान का प्रणयन किया है।

नरहरि रामदासी
नरहरि जी समर्थ संप्रदाय के संत थे। ये विक्रम सं. १७०७ से १७५७ तक वर्तमान थे। इन्होंने अवधी में स्फुट रचनाएँ की हैं।

नल चरित
इस ग्रंथ के रचयिता कोटा-नरेश कुँवर मुकुंद सिंह हैं। इसका सृजन सं. १७६८ में हुआ। इसमें अवधी शब्दावली का बाहुल्य है।

नल दमन
यह ग्रंथ लखनऊ के गोवर्धन दास के पुत्र सूरदास द्वारा सं. १७१४ में प्रणीत महाकाव्य है। भाषा के रूप में पूरबी अवधी को स्थान दिया गया है। भाषा शुद्ध, सरस एवं प्रवाहयुक्त है।


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