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Awadhi Sahitya-Kosh

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फकीरादास
इनका जन्म बहराइच जनपद के नरोत्तमपुर ग्राम में सं. १८२७ वि. की अषाढ़ शुक्ल पक्ष पंचमी को हुआ था। आज भी उस ग्राम में स्थित गद्दी इसका प्रमाण है। उक्त तिथि पर यहाँ इनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। पिता के स्वर्गवासी होने के पश्चात् ये माँ और बहन के साथ गौराधनाव ग्राम में रहने लगे, किन्तु वहाँ की परिस्थिति अनुकूल न होने के कारण पुनः अपने गाँव लौट गए। इनके पुत्र एवं शिष्य का नाम क्रमशः जानकीदास एवं सुरजीदास था। इनकी रचनाएँ हैं- ‘आनंदवर्धिनी’, ’ज्ञान की गारी’, ‘होरी ज्ञान की’, ‘ज्ञान का बारहमासा’, बीजा ग्रंथ। इनमें से एकमात्र ‘ज्ञान वर्धिनी’ रचना ही उपलब्ध है, जिसका रचनाकाल सं. १८८४ वि. है। इनकी रचनाओं में अवधी भाषा का ही प्रयोग हुआ है। इनका निर्वाणकाल सं. १९०८ वि. है।

फरवार से बखर तक
यह संजय सिंह द्वारा लिखित एक अवधी उपन्यास है।

फाग
यह एक ऋतुपरक गीत है, जो होलिकोत्सव के अवसर पर गाये जाते हैं। ओजस्विता इन गीतों का गुण है। इन फाग गीतों का वर्ण्य विषय पौराणिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक हुआ करता है। अवध राम का क्षेत्र है। अतः यहाँ अवधी में रामाश्रयी फाग अधिक गाये जाते हैं। ब्रज के निकट होने के कारण अवध क्षेत्र में अवधी लोकगीतों में कृष्णाश्रयी फागों का भी अभाव नहीं है। इन गीतों में भाव-वैविध्य देखने को मिलता है।

फारुक हुसैन ‘सरल’
सीतापुर निवासी सरल जी अवधी के प्रतिनिधि कवि हैं।

फिकरानामा
यह सूफी कवि शेख बुरहानुद्दीन कृत अवधी आख्यानक रचना है।

फुहार
यह रमई काका की हास्य-व्यंग्य प्रधान काव्य कृति है। ३६ कविताओं का यह संग्रह सन् १९५६ में प्रकाशित हुआ था। अभी तक इसके ७-८ संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। ‘फुहार’ कृति उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत भी हो चुकी है। इसमें लोक-जीवन में परिव्याप्त लोक-विश्वासू, जन प्रथा, लोकरीति, सामाजिक विषमता, भ्रष्टाचार, राजनीति, धर्म आदि से सम्बद्ध कवितायें हैं। इसमें कवित्त, गीत आदि कई छंद हैं।

फूलचन्द्र मिश्र ’चंद्र’
दौलतपुर, रायबरेली निवासी मिश्र जी अल्पख्यात अवधी कवि हैं।


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