logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Awadhi Sahitya-Kosh

Please click here to read PDF file Awadhi Sahitya-Kosh

डॉ. अजय प्रसून
अनागत काव्य आंदोलन के प्रवर्तक डॉ. प्रसून जी का पूरा नाम डॉ. अजय कुमार द्विवेदी है। इनका जन्म लखनऊ में १८ जनवरी सन् १९५४ को हुआ था। ये लखनऊ में ही सम्प्रति सरकारी सेवा कर रहे हैं। वर्तमान पता है- ७७, सरोज निकेतन हेल्थ स्क्वायर, लखनऊ-३। इनका कवि जीवन बाल साहित्यकार के रूप में प्रारम्भ हुआ। गाओ गीत सुनाओ गीत, युग के आँसू, बाँसुरी के भीतरी तह में आदि इनकी दर्जनों कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने अनेक अवधी गीतों की रचना की है, जिसमें शहरी एवं ग्राम्य जीवन पर प्रकाश डाला गया है।

डॉ. अनुजप्रताप सिंह
ये संप्रति आर.आर. महाविद्यालय, अमेठी, सुल्तानपुर में सेवारत हैं। इन्होंने अवधी साहित्य में प्रचुर मात्रा में सर्जना की है।

डॉ. अमरनाथ बाजपेयी
ये लखनऊ नगर के प्रवासी हैं। ‘विरहिन क बसन्तु” दोहा-चौपाई छंदों में विरचित इनकी महत्वपूर्ण रचना है।

डा. अरुण कुमार त्रिवेदी
डा. त्रिवेदी का जन्म २४ जून १९४० ई. को उन्नाव जनपद के रावतपुर ग्राम में हुआ था। ये अवधी के सुविख्यात कवि एवं साहित्यकार चन्द्रभूषण त्रिवेदी ‘रमई काका’ के सुपुत्र हैं। त्रिवेदी जी सीतापुर के आर. एम. पी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं। ‘युद्ध मुद्रा’ नाम से नई कविताओं का संकलन इनका प्रकाशित है। इन्होंने अवधी में ’नई कविता’ और अच्छे गीतों की रचना की है। आस, जिन्दगी, क्रांति और गाँव इनकी अवधी की रचनायें हैं। इनकी अवधी बैसवारी से प्रभावित है।

डॉ. उमाशंकर शुक्ल ‘शितिकंठ’
इनका जन्म १ जुलाई सन् १९४३ को सीतापुर जनपद के गुलाबराय गाँव में हुआ था। पं. प्यारे लाल वैद्य इनके पिता हैं। ये शाहजहाँपुर एवं खीरी के क्रमशः जी.एफ. डिग्री कालेज एवं केन ग्रोवर डिग्री कालेज में हिन्दी प्रवक्ता रहे। संप्रति लखनऊ शहर के जयनारायण डिग्री कालेज में हिन्दी के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं। खड़ी बोली के साथ-साथ इन्होंने अवधी में भी काव्य सृजन किया है। बरवै इनका प्रिय छंद है।

डॉ. ओमप्रकाश त्रिवेदी
इनका जन्म १५ अगस्त सन् १९३४ को ग्राम ठाकुरपुर, ब्लाक त्रिवेदीगंज, जनपद बाराबंकी के पं. श्री शुकदेव प्रसाद त्रिवेदी के यहाँ हुआ था। शिक्षोपरांत इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अस्थायी प्रवक्ता के रूप में अध्यापन करते हुए सन् १९७१ में लखनऊ के के.के.वी. कालेज में स्थायी प्रवक्ता हो गये। अभी हाल में हिन्दी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इन्होंने अवधी साहित्य पर शोध कार्य किए-कराये हैं- ‘अवधी भाषा के प्रमुख कवि’ उनकी है। सम्प्रति ओम् निवास ११४, मवइया, लखनऊ में स्थायी रूप से रह रहे हैं।

डॉ. कुँवर चन्द्रप्रकाश सिंह
कुँवर साहब का जन्म सीतापुर जनपद के दसिया ग्राम में सन् १९१० ई. में हुआ था। ये अवधी के यशस्वी साहित्यकार हैं। अवधी के प्रति इनका लगाव निरन्तर बना रहा जो अवधी रचनाओं के मध्य व्यक्त होता रहा है। युवराजदत्त कालेज, लखीमपुर में हिन्दी के प्राध्यापक पद पर कार्य करते हुए इन्हें अवधी जनचेतना के कवि पढ़ीस का सान्निध्य मिला। फलतः यदा-कदा ये अवधी में काव्य रचना भी करने लगे। कुँवर साहब ने साहित्य की सभी विधाओं का प्रयोग किया है। इन्होंने लगभग एक दर्जन काव्यग्रन्थ, नाटक तथा लगभग एक दर्जन समीक्षा ग्रन्थ लिखे हैं। बड़ौदा, जोधपुर तथा मगध विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष पद पर रहने के पश्चात् सेवा निवृत्त होकर तथा आजीवन साहित्य सेवा करके कुँवर साहब १९९७ में दिवंगत हो गए।

डॉ. कृष्णकुमार श्रीवास्तव
प्रतिभा के धनी श्रीवास्तव जी लखीमपुर, खीरी के निवासी हैं। ये अपनी अवधी रचनाओं के लिए विख्यात हैं।

डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र
मिश्र जी खड़ी बोली के सशक्त कवि हैं, साथ ही अवधी में भी अच्छी कविता करते हैं। ये सन् १९४७ में ग्राम बन्नीराय निकट ‘बिसवाँ’ जिला सीतापुर में जनमे थे। ये एक कुशल चिकित्सक हैं। समाज सेवा तथा साहित्य सेवा इनके स्वाभाविक गुण हैं, जिसका ये पूर्णतया पालन कर रहे हैं। मुख्यतः ये खड़ी बोली के कवि हैं। ‘साकेत-शौर्य’ इनका प्रख्यात काव्य-ग्रन्थ है।

डॉ. गणेशदत्त ’सारस्वत’
इनका जन्म सीतापुर जनपद के बिसवाँ नगर में १० सितम्बर, १९३६ ई. को हुआ था। इनके पिता का नाम पं. उमादत्त सारस्वत है। ये खड़ी बोली के साथ-साथ अवधी में भी रचनाएँ करते हैं। इनके द्वारा लिखित एवं संपादित दर्जनों ग्रंथ हैं। ये आर.एम.पी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सीतापुर में हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं।


logo