यह बेनी भट्ट द्वारा रचित अलंकार ग्रंथ है, जो टिकइतराय के कहने पर सं. १८४६ वि. में लिखा गया। कवि ने इसका समर्पण भी टिकइत राय को किया है। इसमें टिकइतराय के पूर्वजों की आठ तथा वंशजों की दो पीढ़ी का उल्लेख हुआ है, साथ ही टिकइतराय की प्रशस्ति भी। यह काव्य-ग्रंथ श्रृंगार निरूपण तथा अलंकारविधान का कोष है। इसकी भाषा ब्रजावधी है।
टोडरप्रसाद शुक्ल ‘प्रसाद गेंजरहा’
इनका जन्म २२ अक्टूबर सन् १९५३ ई. को खीरी जनपद के सिंगाही कलां गाँव में हुआ था। लल्लूप्रसाद शुक्ल इनके पिता थे। बी.ए. तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद एक बेसिक विद्यालय में अध्यापक हो गये। इनके प्रेरक पं. वंशीधर शुक्ल जी रहे। इन्होंने ’नवसृजन साहित्यकार परिषद्’ का गठन किया, जिसके माध्यम से काव्य ज्योति जलाने का कार्य किया जा रहा है। ‘गँउआ हमार’, अवधी रचनाओं का संकलन है। ‘माटी के गीत’, ’वीर भारत’, ‘फहराई तिरंगा बादर मा’ इनकी अन्य अवधी रचनाएँ हैं।
टोन्हा
यह अवधी का एक मंत्रगीत है, जो वैवाहिक प्रथाओं के बीच स्त्रियों द्वारा गाया जाता है। इसमें सम्मोहन का भाव निहित होता हैं।