लखनवी जी का जन्म लखनऊ नगर में हुआ था। ‘फैशन’ आदि अवधी रचनाएँ करके इन्होंने आधुनिक जीवन की विसंगतियों पर कटाक्ष किया है।
यशोदानंदन
ये रहीम के बाद अवधी में ‘बरवै नायिका भेद’ लिखने वाले प्रसिद्ध रचनाकार हैं। इनका जन्म सं. १८२८ वि. माना गया है।
युक्तिभद्र दीक्षित
इनका जन्म सिधौली, जिला सीतापुर में १९२९ ई. में हुआ। इन्हें काव्य-रचना की प्रेरणा अपने पिता श्री पढ़ीस जी से प्राप्त हुई। पितृशोक के कारण ये विधिवत शिक्षा अर्जित नहीं कर पाए फिर भी अपने पुरुषार्थ के बल पर इन्होंने अपने संस्कार जाग्रत किए। ये अवधी के श्रेष्ठ गीतकार हैं। इनके गीतों में अनुभूति की सघनता है और विषयगत वैविध्य भी। इन्होंने राष्ट्रीय भावधारा से प्रभावित होकर अनेक रचनाएँ की है। ऋतु गीतों की परंपरा में इनका महत्व निर्विवाद है। गाँव की धरती, वहाँ का प्रकृति परिवेश और उसके सौन्दर्य का भाव-भीना चित्र इनके गीतो में उद्भासित हुआ है। कवि के अवधी गीतों में श्रृंगार का भी पर्याप्त पुट परिलक्षित होता है। दीक्षित जी ने अपनी अवधी में भोजपुरी शब्दों को भी यथेष्ठ मात्रा में स्थान दिया है।
युगलविहार पदावली
यह रामबल्लभ शरण द्वारा प्रणीत अवधी काव्य-संग्रह है।
युगलानन्यशरण
इन्होंने बचनावली (अवधी गद्य) नामक रचना का सृजन किया है। शेष विवरण अप्राप्त है।
योगेश्वराचार्य
ये सरभंग सम्प्रदाय के संत थे। इनका जन्म ग्राम रूपौलिया जनपद चम्पारन (बिहार) में सन् १८८४ में हुआ था। सन् १९४६ में इन्होंने साकेत को अपना निवास स्थान बनाया। गृहस्थी-परित्याग के पश्चात वैराग्यावस्था में इन्होंने अवधी भाषा में अनेक रचनाएँ प्रस्तुत की हैं।