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Awadhi Sahitya-Kosh

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भँवर सिंह ‘भँवरेश’
इनका जन्म सं. १९७९ में हुआ था। ये ग्वालियर से आकर ग्राम चिलौला (डलमऊ) जिला रायबरेली में स्थायीरूप से बस गए है। ‘किसान कै गोहारि’ इनकी सशक्त अवधी रचना है।

भँवरी
सप्तपदी के अवसर पर स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला यह अवधी लोकगीत बड़ा ही मार्मिक है। इसमें सातों भाँवरियों का मनोवैज्ञानिक निरूपण किया गया है।

भक्तवच्छावली
यह मलूकदास की दोहा-चौपाई में लिखित अवधी भाषा की सशक्त रचना है। इसमें ब्रह्म की भक्त वत्सलता का वर्णन है।

भक्त-विनोद
यह बोधेदास द्वारा रचित अवधी का प्रबन्ध-काव्य है। इस ग्रन्थ का रचना काल सं. १८४८ वि. है। इस काव्य कृति में ‘कोटवा’ धाम बाराबंकी जनपद निवासी संत जगजीवन दास का जीवन-वृत्त तथा उनके द्वारा प्रतिष्ठापित सतनामी सम्प्रदाय का साथ ही साथ उनके शिष्यों का समग्र वर्णन है। यह जीवनी परक प्रबन्ध काव्य है, जिसका प्रणयन अवधी भाषा में दोहा-चौपाई छन्दों में हुआ है। इसका शब्द संचयन तद्भव बहुल होते हुये भी इसमें तत्सम शब्दों का पर्याप्त प्रयोग है। यह धर्म, नीति तथा शांत - निर्वेद भावों से पूर्ण रचना है। इस ग्रन्थ में एक ओर साहित्यिकता का रस है, तो दूसरी ओर लोकजीवन की निकटता है। लोकभाषा का आनन्द है।

भक्ति सुधा बिन्दु स्वाद तिलक
यह रसिक सम्प्रदाय के रामभक्त कवि सीताराम शरण ‘रूपकला’ कृत अवधी रचना है।

भगवतीप्रसाद अवस्थी ‘लोप’
लोपजी का जन्म मवइया कलाँ, बाराबंकी में १९३१ ई. में हुआ। कई दशकों से इनकी काव्य-साधना अविरल प्रवहमान है। अवधी में अनेक समसामयिक विषयों पर इनकी शताधिक रचनाएँ हैं। साथ ही दहेज आदि अनेक कविताएँ भी लिखी हैं। सम्प्रति प्रधानाचार्य रूप में सेवारत है।

भगवती प्रसाद मिश्र ‘नन्दन’
मगहर, बस्ती के निवासी नन्दन जी अवधी साहित्यकार है। सुनहरा स्वप्न नामक इनकी अवधी रचना है।

भगवानबख्श सिंह
इनका जन्म सं. १९४३ में रायबरेली जिले के पूरे जंगली देवी (अलीपुर) नामक स्थान पर हुआ था। इन्होंने अपनी रचनाओं में अवधी का पर्याप्त प्रयोग किया है। विशेष विवरण सुलभ नहीं है।

भगवानबख्श सिंह ‘संत’
ये सत्यनामी सम्प्रदाय के संत थे। इनका जन्म सन् १८८० ई. में जनपद रायबरेली के अलीपुर ग्राम में हुआ था। अवधी साहित्य में इनके द्वारा किया गया योगदान चिरस्मरणीय है। इनके अवधी ग्रंथ हैं - ‘सत्यनाम दीपिका’ और ’सत्यानंद प्रकाश’।

भगवान हित
इन्होंने सं. १७२८ में ‘अमृत धारा’ नामक विशद अवधी ग्रंथ का सृजन किया था। विशेष विवरण अप्राप्य है।


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