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Awadhi Sahitya-Kosh

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कामलता की कथा
यह कवि जान द्वार रचित अनेक प्रेमाख्यानों में से एक है। भाषा लोकप्रचलित अवधी है। यह चौपाई और दोहा छंद में रचित है। इसमें पाँच चौपाई के बाद एक दोहे का क्रम है। कथा संगठन में कोई नवीन बात नहीं हैं।

कार्तिकेय
अयोध्यावासी संत कार्तिकेय जी अवधी के अच्छे साहित्यकार थे। इन्होंने सन् १९५६ ई. में वेदान्त-रहस्य’ नामक अवधी ग्रंथ लिखा, जिसमें वेदान्त के गूढ़ रहस्यों का उद्‍घाटन अवधी की दोहा-चौपाई शैली में हुआ है। अध्यात्म मार्ग के साधकों के लिए यह कृति ‘साधन-तंत्र के रूप में सिद्ध तथा प्रसिद्ध हुई है।

कालिका प्रसाद ’लामा’
लामाजी का जन्म रायबरेली जिले के सेमरौता नामक ग्राम में सं. १९३२ में हुआ था। इनके तीन ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं, जिनमें से ‘बारहमासा लामा’ अवधी की अमूल्य निधि है। लामा जी की असामयिक मृत्यु सं. १९७४ में हो गई थी।

कालीचरण बाजपेयी
बैसवारा क्षेत्र के विगहपुर के निवासी बाजपेयी जी आधुनिक काल के श्रेष्ठ अवधी कवि हैं।

कालीदीन
ये बैसवारी अवधी के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इनका कर्म स्थान रहा है- बैसवारा क्षेत्र। रचनाकाल है- भारतेन्दु युग।

काशीप्रसाद द्विवेदी
इनका जन्म सन् १९५६ में बन्नावाँ रायबरेली में हुआ था। इन्होंने फुटकर अवधी काव्य-सृजन किया है।

कासिमशाह
कासिमशाह का स्थान अवधी साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण है। ये लखनऊ जनपद के दरियाबाद नामक स्थान के निवासी थे। इनके पिता का नाम इमानुल्लाह था। इनकी अवधी काव्य कृति ‘हंस जवाहिर’ का रचना-काल कवि द्वारा हि. सन् ११४९ वर्णित है। मिश्र बन्धुओं ने हंस जवाहर का रचनाकाल सं. १९०० माना है। मुहम्मद शाह का शासन काल सन् १७७६-१८०५ है। कवि ने अपने ग्रन्थ का रचना काल हिं० सन् ११४९ अर्थात् सन् १७९३ बताया है। अतएव कासिमशाह का समय मुहम्मदशाह का शासनकाल ही निश्चित होता है।

किनारा राम
ये संत परम्परा के अवधी कवि हैं। इनका जन्म सं. १९८४ में हुआ था। इन्होंने तुलसीदास की पद्धति पर अवधी भाषा में विवेकसार, रामगीता, गीतावली, रामरसाल आदि ग्रंथों की रचना की है।

किरण मिश्र
ये अयोध्या की निवासिनी हैं। इन्होंने ‘अँखुआ’ नामक अवधी रचना की है।

श्रीमती किशोरी तिवारी ‘बौड़मी’
लखनऊ के कवि सम्मेलनों में ‘बौड़म’ जी के साथ उनकी धर्मपत्नी बौड़मी जी भी अपने हास्य-व्यंग्य के कारण मशहूर रही हैं। इनका जन्म बाराबंकी में सन् १९३६ ई. में हुआ, किंतु इनकी शिक्षा-दीक्षा लखनऊ में हुई। सम्प्रति पति-पत्नी १३५, नौबस्ता, लखनऊ के स्थायी निवासी बन गये हैं। बौड़म जी के प्रभाव से इन्होंने भी अवधी लोक गीतों से अपना काव्य लेखन प्रारम्भ किया। इनके लगभग ५० लोकगीत हैं जिनमें से कुछ आकाशवाणी लखनऊ से प्रसारित भी हो चुके हैं।


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