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Awadhi Sahitya-Kosh

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अवधी सागर
यह जानकी रसिक शरण द्वारा रचित अवधी ग्रंथ है। इसमें श्रीराम तथा सीताजी के चरित्र का सरस और मनोहारी ढंग से वर्णन हुआ है। इसका प्रणयन सं. १७६० में हुआ था।

अवधी साहित्य-संस्थान
यह संस्था अयोध्या, फैजाबाद में कार्यरत है। यहाँ से ’अवधी’ पत्रिका के माध्यम से अवधी के समग्र पक्षों को विश्लेषित करने का सराहनीय कार्य हो रहा है।

अवधेश अवस्थी ‘सुमन’
अवधी काव्य जगत के सर्वथा चर्चित व्यक्तित्व सुमन जी का जन्म सन् १९३० ई. में सीतापुर जिले के दासापुर नामक ग्राम में हुआ था। इनको काव्य का गुण वंशानुगत प्राप्त हुआ था। इनके पितामह सुप्रसिद्ध महाकवि ‘द्विज बलदेव’ थे, जिन्हें भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने सम्मानित किया था। सुमन जी ने अवधी और खड़ी दोनों बोलियों में काव्य रचना की थी। इनकी अवधी की सुप्रसिद्ध रचनायें इस प्रकार हैं - ‘दहेज’- सामाजिक समस्या प्रधान। ‘काका की फुलबगिया’ तथा ‘हिमालय की गरिमा’ आदि। इनके काव्य में व्यक्त राष्ट्रीयता की भावना स्तुत्य है। इनकी अवधी में बैसवारी बोली का प्रभाव परिलक्षित होता है। सन् १९९२ में कवि का निधन हो गया।

अवधेश त्रिपाठी
कविवर अवधेश त्रिपाठी का नाम अवधी की आधुनिक कविता के प्रारम्भिक उन्नायकों में गणनीय है। इनका जन्म सन् १८९० ई. में ग्राम उनरावाँ जिला लखनऊ में हुआ था। राष्ट्रीय भावधारा के कवि अवधेश ‘सनेही मण्डल’ के अच्छे कवियों में थे। उनकी वेशभूषा आचार- व्यवहार में स्वदेशी की भावना प्रबल थी। खादी का कुर्ता, धोती, टोपी यही इनकी पोशाक थी। कवि ने अंग्रेजी शासन काल के भोगे हुए यथार्थ को अपनी कविताओं में चित्रांकित किया। अवधेश जी की अवधी वस्तुतः बैसवारी है। इनकी अवधी रचनायें हैं - ‘आजादी का वालिंटियर’, ‘जमींदार से किसान की चिरौरी’, ‘कालिज का खर्चा’, ‘मज़दूर अहिन’, ‘आजादी क्यार गान’, ‘मातमी दुनियाँ’, ‘ग्रेजुएट’, ‘मिडिलची’, ‘मेला’, ‘अंगरेजहा जवान’, ‘हम मिलिकै देसु सुधार ल्याब’, ‘हम सबके ताबेदार अहिन’, ’हम हन किसान’, ‘कवि केर बिदाई’, ’लगान’, लड़की के पिता का पछतावा’, ‘जाड़े के प्रति’, ‘कृषकों का ग्रीष्म’, ‘कवि-पत्नी का पश्चाताप’ आदि उल्लेखनीय हैं। ‘किसान-कटौं झनि’ ‘दीहात-दशा’ इनकी अवधी की अच्छी पुस्तकें है। अवधी कविता के साथ ही कवि ने अवधी गद्य में अनेक एकांकियों की रचना भी की है। त्रिपाठी जी अवधी की अमर विभूति बनकर सन् १९४८ ई. में दिवंगत हो गये।

अवधेश शुक्ल
अपनी अवधी कविताओं के माध्यम से जन-जन में प्रसिद्ध शुक्ल जी बहराइच जनपद के निवासी हैं। इनका कर्तृत्व उल्लेखनीय है। अवधेश शुक्ल का सम्प्रति निवास स्थान सीतापुर है, रचनाएँ- जागु-जागु मजदूर किसनवा आदि।

अवनीन्द्र विनोद
कविवर अवनीन्द्र विनोद गोण्डा जिले (उ. प्र.) के निवासी हैं। इनका जन्म २ जुलाई १९५१ ई. में हुआ। शिक्षा इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त की। सम्प्रति ये आई. टी.आई. लि. मनकापुर जिला गोण्डा में विधि सहायक (सतर्कता विभाग) के पद पर कार्यरत हैं। काव्य के प्रति इनकी रुचि किशोरावस्था से ही थी। इन्होंने अवधी की सैकड़ों रचनायें लिखी हैं। ‘‘गीत ज्ञान विज्ञान’ नामक पुस्तक बाल-साहित्य की अच्छी पुस्तक है। आकाशवाणी-दूरदर्शन और टेली फिल्म के लिये इन्होंने बराबर गीत लिखें है। राजनीतिक-सामाजिक विकृतियों का यथातथ्य चित्रण इनकी कविता में परिलक्षित होता है। इनकी अवधी में पूर्वीपन का बाहुल्य है। इन्होंने अपने काव्य में वर्णन शैली का प्रयोग अधिक किया है।

अश्वमेध पर्व (महाभारत)
सबलसिंह द्वारा इस कृति का प्रणयन- समय सं. १७१८ वि. तथा १७८१ के मध्य का है। इसकी भाषा अवधी है। कथा का आधार महाभारत से ग्रहण किया गया है।

अहमक शाह
ईसा की १९वीं शती में जनमें शाह साँईदाता सम्प्रदाय से सम्बद्ध संत एवं अवधी साहित्यकार रहे हैं। इन्होंने अपनी ‘पद विचार’ नामक गद्य कृति अवधी भाषा के माधयम से प्रस्तुत की है।

आखत
यह एक अवधी पत्रिका है, जिसका प्रकाशन ‘अवधी मंच’ के माध्यम से हो रहा है। दो अंकों में प्रकाशित होकर इस पत्रिका ने अवधी साहित्य में काफी योगदान किया है।

आखिरी कलाम
यह मलिक मोहम्मद जायसी की महत्वपूर्ण रचना है। इसमें अवधी भाषा एवं दोहा -चौपाई, छंदों का सफल प्रयोग हुआ है।


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