यह सं. १७०० में लालदास द्वारा प्रणीत अवधी का प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ है। इसमें राम और सीता की ललित कलाओं का बड़ा मनोहारी वर्णन हुआ है।
अवधी
यह अवधी परिषद, लखनुऊ द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका है। डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षित के संयोजन में सन् १९७८ में इसका, शुभारम्भ हुआ। पं. वंशीधर शुक्ल, रभई काका, पढ़ीस तथा मृगेश पर विशेषांक निकालकर इस पत्रिका ने इस बृहत्चतुष्टय के साथ आधुनिक अवधी काव्य को विश्वविद्यालयी पाठ्यक्रमों में प्रतिष्ठा दिलाई, कई संस्थाएँ चलवाईं और अवधी पुरस्कार शुरू कराए, फलतः आधुनिक अवधी काव्य पुनर्जीवित हो उठा है।
अवधी अकादमी
यह सुल्तानपुर जिले में कार्यरत अवधी साहित्य की कल्याणकारी संस्था है, जिससे कई अवधी पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ है।
अवधी अध्ययन केन्द्र
इस संस्था की स्थापना सन् १९८८ में लखनऊ जनपद में हुई। अवधी के प्रचार-प्रसार हेतु इस संस्था ने ‘बिरवा’ नामक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। इस पत्रिका के कुल नौ उपयोगी अंक प्रकाशित हो चुके हैं। इसी नाम से दूसरी संस्था बिसवाँ सीतापुर से निकली है जिसके संरक्षक- पं. उमादत्त एवं श्रीकांत शर्मा ‘कान्ह’, अध्यक्ष- श्री सोमदत्त शुक्ल एवं महामंत्री, श्री रामकृष्ण संतोष हैं।
अवधी और उसका साहित्य
यह सन् १९५४ में प्रकाशित (राजकमल प्रकाशन, दिल्ली से) डॉ. त्रिलोकीनाथ दीक्षित द्वारा प्रणीत एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसके प्रकाशन से अवधी के साहित्यिक स्वरूप का परिचयात्मक विश्लेषण प्राप्त हुआ है। इसका संपादन क्षेमचन्द्र ‘सुमन’ द्वारा किया गया है।
अवधी का लोक साहित्य
अवधी क्षेत्र का लोकसाहित्य अपने में एक विशिष्ट साहित्य है। इसी पक्ष को प्रचारित एवं प्रसारित करने की शुभेच्छा से डॉ. सरोजनी रोहतगी ने उपर्युक्त शोध का लेखन किया है।
अवधी का विकास
इस पुस्तक के लेखक डॉ. बाबूराम सक्सेना हैं। इस पुस्तक के माध्यम से अवधी भाषा का प्रारम्भ, विकास एवं विश्लेषणात्मक वर्गीकरण प्रस्तुत किया गया है। अवधी का स्वरूप उद्घाघाटित करने में इस शोधकृति का अतुलनीय योगदान रहा है।
अवधी की राष्ट्रीय कवितायें
यह सन् १९९२ में डॉ. श्यामसुन्दर मिश्र ‘मधुप’ द्वारा संपादित एक महत्वपूर्ण संकलन है। इसमें लगभग ११० अवधी कवियों का साहित्यिक परिचय और सैकड़ों रचनाओं एवं लोकगीतों को प्रस्तुत किया गया है। अवधी साहित्य को अक्षुण्ण बनाये रखने में इस ग्रंथ का प्रशंस्य योगदान है।
अवधी कृष्णभक्ति काव्य
यह डॉ. श्याम मुरारी जायसवाल द्वारा सन् १९९८ में प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध है। इस प्रबन्ध में अवधी भाषा के माध्यम से रचित कृष्ण-काव्य का उल्लेख किया गया है।
अवधी के आधुनिक काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
यह डॉ. श्यामसुन्दर मिश्र ‘मधुप’ द्वारा संपादित अवधी भाषा के कवियों, रचनाओं एवं प्रवृत्तियों से सम्बन्धित एक परिचयात्मक ग्रंथ है। इस ग्रंथ का प्रकाशन सन् १९८३ में हुआ।