यह डॉ. सुशील सिद्धार्थ कृत अवधी का अप्रकाशित उपन्यास है। इसमें उच्च शिक्षा से सम्बद्ध लोगों को केन्द्र में रखकर उनके अत्याचारों को चित्रित किया गया है।
अखरावट
यह जायसी कृत अवधी रचना है। इस कृति में वर्णमाला के एक-एक अक्षर के आधार पर ईश्वर, जीव, जगत, सृष्टि आदि आध्यात्मिक भावों का विवेचन किया गया है।
अगवानी
अवधी का एक स्वागत गीत, जो बारातियों के सत्कार के लिये स्त्रियों द्वारा गाया जाता है।
अच्छेलाल शुक्ल ’रसिक’
रसिक जी ने अवधी साहित्य के अभिवर्द्धन हेतु कन्हैया-चरित्र, द्रोपदी-पुकार आदि के साथ ही ढेर सारी रचनाओं का सृजन किया है। शेष विवरण अनुपलब्ध है।
अजदत्त
ये द्विवेदी युग के अल्पख्यात अवधी रचनाकार हैं। काव्यधारा को प्रवहमान रखने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
अजमल सुल्तानपुरी
ये सुल्तानपुर के निवासी एवं अल्पख्यात अवधी कवि हैं।
डॉ. अजय प्रसून
अनागत काव्य आंदोलन के प्रवर्तक डॉ. प्रसून जी का पूरा नाम डॉ. अजय कुमार द्विवेदी है। इनका जन्म लखनऊ में १८ जनवरी सन् १९५४ को हुआ था। ये लखनऊ में ही सम्प्रति सरकारी सेवा कर रहे हैं। वर्तमान पता है- ७७, सरोज निकेतन हेल्थ स्क्वायर, लखनऊ-३। इनका कवि जीवन बाल साहित्यकार के रूप में प्रारम्भ हुआ। गाओ गीत सुनाओ गीत, युग के आँसू, बाँसुरी के भीतरी तह में आदि इनकी दर्जनों कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने अनेक अवधी गीतों की रचना की है, जिसमें शहरी एवं ग्राम्य जीवन पर प्रकाश डाला गया है।
अज्ञात
यह नाम है अथवा विशेषण, स्पष्ट नहीं। ‘विनोद’ के अनुसार ’कामरूप’ नामक अवधी काव्यकृति अज्ञात कवि की लिखी हुई है।
अनंतदास साधु
इन्होंने सं. १६४५ के लगभग कुछ अवधी कविताएँ लिखी थीं। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- नामदेव आदि की परची संग्रह, पीपा जी की परची, समन सेउजी की परची आदि आठ अवधी ग्रन्थ।
अनन्य
इनका जन्मकाल सं. १७१० है। इनकी प्राप्त कृति ‘सिंदोरा’ का रचना-काल सं. १७३५ (लगभग) कहा गया है। यह कृति अवधी की श्रेष्ठ काव्यकृति मानी गई है। शेष विवरण अन्वेषणाधीन है।