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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

अगनैआ बतर पाऊँतौ गेहूँ गाय बताऊँ
अश्विनी आदि 27 नक्षत्रों में से 8वा नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, वर्षा के दिनों में धूप निकलने पर खेती के काम के लिए मिलने वाला अवकाश, किसान कहता है कि भादों के महीने में यदि मुझे जोतने-बखरने का अवकाश मिल जाए तो मैं गेहूँ की बढ़िया फसल पैदा करके बताऊँ।

अगारी तुमाई, पछारी हमाई
आगे का हिस्सा तुम्हारा, पीछे का हमारा, ऐसे स्वार्थी व्यक्ति के लिए जो किसी वस्तु का सबसे बड़ा भाग स्वयं लेना चाहे।

अगिया कहै पाँवर से रोय
तोरे मोरे रहे का खेती होय-फसल को हानि पहुँचाने वाली एक प्रकार की घास, एक छोटा जंगली पौधा, पँवार, जिसे खेत में अगिया और पँवार पैदा हो जाता है उसमें फसल अच्छी नहीं होती।

अटकर पंच्चूँ डेढ़ सौ
बिना जाने समझे बात कहना, गप्प हाँकना।

अटन की टटन में, टटन की अटन में
टटन का अनुप्रास मूल शब्द अथवा अटा, अटारी, टटा का बहुवचन, बाँस की फंचियों या पतली टहनियों की बनी टट्टी, इधर की वस्तु उधर रखना, बे सिर पैर का काम करना।

अड़की की डुकरो टका मुड़ावनी
लाभ तो थोड़ा और खर्च अधिक, चीज तो सस्ती, पर उसकी देखभाल मरम्मत में असल से ज्यादा खर्च होना।

अड़की की हँड़िया फूटी सो फूटी, कुत्ता की जात तौ पौंचानी
हानि हुई तो हुई, पर किसी एक व्यक्ति के स्वभाव से परिचित तो हुए।

अडुआ नातो, पडुआ गोत
जैसा नाता वैसा ही गोत, बे पते- ठिकाने के ऐसे व्यक्ति के लिए जो जबर्दस्ती अपना रिश्ता निकालता फिरे।

अत कौ फूलौ सोजनों डार पात से जाय
वृक्ष विशेष, सहजन, अति करने वाला नाश को प्राप्त होता है।

अधजल गगरी छलकत जाय
औछा आदमी इतरा कर चलता है।


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