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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

फट्टा लौट गओ
व्यापार में हानि हो गयी, दिवाला निकाल गया।

फरिया न सारी, बड़ी सोभा हमारी
पहिनने को न तो फरिया न साड़ी, फिर भी अपने को बहुत सुन्दर समझती है।

फरै सो नवै
दे नमें सो भारी।

फलाने की मताई ने मुंस करो, बुरओ करो, कई छोड़ दओ, और बुरओ करो
दे तुमाई मताई।

फाग की फाग खेल लई और आँग बचा लओ
अपना काम बना कर चुपचाप अलग हो जाना और दूसरों को आलोचना का अवसर न देना।

फाग के कुटे और दिवारी के लुटे कों कोऊ नई पूंछत
होली के हुल्लड़ में यदि कोई पिट जाय और दिवाली में जुए में हार जाय तो उसके लिए कौन चिन्ता करता है।

फिकर फकीरे खाय
चिन्ता तो फकीर को भी खा जाती है।

फिरै तौ चरै
मैदान में चलने-फिरने ही से ढोर को चरने के लिए घास मिलती है, एक जगह बैठे रहने से पेट कैसे भर सकता है।

फूँद में हो सरक गये
किसी काम की जिम्मेवारी से अपने को होशियारी से बचा ले गये।

फूटी तौ सयें आँजी न सयें
आँख फूट जाय वह स्वीकार, परन्तु अंजन का कष्ट सहना स्वीकार नहीं, थोड़े से खर्च या असुविधा के पीछे अपनी बड़ी हानि कर लेना।


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