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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

नंगा ठाँड़ो गैल में चोर बलैया लेय
जिसके पास कुछ है ही नहीं, उससे कोई लेगा क्या।

नंगा सो चंगा
जिसके पास कुछ नहीं वह सदैव मजे में है।

नंगी का सपरे और का निचोरे
जिसके पास कोई वस्तु है ही नहीं वह क्या तो स्वयं उसका उपयोग करे, और क्या दूसरों को दे।

नंगी नाचै, पूतै खाय, बेटा की सों जेई आय
जब अपनी चाल-ढाल से कोई स्त्री स्वयं अपने को चरित्रहीन प्रकट करती फिरे तब।

नंद के फंद नंदई जानत
नंद के फंद नंद ही जानती है, भावज का ननद के लिए कहना।

नँद कौ नंदेऊ मेरे लगै न कोऊ
ननदोई, ननद का पति, दूसर के संबंधी के लिए उपेक्षा में कहते हैं।

नँदायरो नइयाँ
निर्वाह नहीं है, बनती या पटती नहीं है।

नई दुकान, तिबरसी गुर माँगे
नई दुकान और तीन वर्ष का पुराना गुड़ माँगते हैं, जो कहाँ रखा।

नई बऊ कौ पालागन
चार दिन आदर-सत्कार।

न उनको ठौर, न उनको और
जब दो आदमी एक-दूसरे से अपना पिंड छुड़ाना चाहते हों, परन्तु एक-दूसरे के बिना उनका काम भी न चलता हो।


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