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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

ढका में ढका लगत
धक्के में और धक्का लगता है, हानि में और हानि होती है।

ढका के सदऊँ तीन पात
सदा एक सी स्थिति रहना।

ढिंगौ मातनो दूर पानी दूर मातनो ढिंगाँ पानी
वर्षा ऋतु में चन्द्रमा के चारों ओर बना प्रभा-मंडल यदि आकार में छोटा हो तो समझना चाहिए कि पानी देर से बरसोगा और बड़ा हो तो शीघ्र बरसोगा।

ढिंड़वारौ मचा राखौ
व्यर्थ का झगड़ा मचा रखा है, ढिंड़वारा ढेढ़ों के मुहल्ले को कहते हैं, ढेढ़ चमारों की तरह की एक छोटी जाति है, बुन्देलखण्ड में यद्यपि ये बहुत कम है परन्तु यह शब्द यहाँ प्रचलित है और उसका अर्थ मूर्ख या गँवार लगाते हैं।

ढेड़ ढेड़ई सें मानत
ढेढ़ ढेढ़ से ही मानता है, गँवार गँवार से ही मानता है।

ढोंगे, काय डरे भौमें, दयें हुयें कछू गों में
चालाक और स्वार्थी के लिए कहते हैं।

ढोर से नर्रयात
ढोर की तरह चिल्लाते हैं, किसी के बुरी तरह चिल्लाने पर।

ढोल के भीतर पोल
बाहरी आडंबर तो बहुत पर भीतर से खोखले।

ढेढ़ ढेढ़ से ही मानता है, गँवार गँवार से ही मानता है।
=CONCAT(A385,B385)
ढेढ़ ढेढ़ से ही मानता है, गँवार गँवार से ही मानता है।।

ढोर की तरह चिल्लाते हैं, किसी के बुरी तरह चिल्लाने पर।
=CONCAT(A387,B387)
ढोर की तरह चिल्लाते हैं, किसी के बुरी तरह चिल्लाने पर।।


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