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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

इक लख पूत सवा लख नाती, ता रावन घर दिया न बाती
धन, यौवन और बड़े कुटुम्ब का गर्व नहीं करना चाहिए, ईश्वर का कोप होने पर सब पल भर में विलीन हो जाता है जैसे रावण का हुआ।

इकल सुंगरा
अकेला रहने वाला सुअर, स्वार्थी व्यक्ति।

इतके बराती, न उनके न्योतार
कहीं के भी नहीं।

इमली के पत्ता पै कुलाँट खाओ
अर्थात् मौज करो, चैन की बंसी बजाओ, अवसर चूके व्यक्ति के लिए प्रायः व्यंग्य में प्रयुक्त।

इधर-उधर के फालतू काम के लिए गुपला नाई, हर काम के लिए जब किसी एक ही व्यक्ति से कहा जाय तब कहते हैं।
=CONCAT(A57,B57)
इधर-उधर के फालतू काम के लिए गुपला नाई, हर काम के लिए जब किसी एक ही व्यक्ति से कहा जाय तब कहते हैं।।

इधर-उधर की बात करके अपने अनुकूल बनानास मिजाज बढ़ा देना ।
=CONCAT(A272,B272)
इधर-उधर की बात करके अपने अनुकूल बनानास मिजाज बढ़ा देना ।।

इस कान सुनी, उस कान निकाल दी, किसी बात पर ध्यान न देना।
=CONCAT(A336,B336)
इस कान सुनी, उस कान निकाल दी, किसी बात पर ध्यान न देना।।

इसलिए कि उससे कुछ मिलने की आशा नहीं होती।
=CONCAT(A599,B599)
इसलिए कि उससे कुछ मिलने की आशा नहीं होती।।

इज्जत आबरू चली गयी।
=CONCAT(A634,B634)
इज्जत आबरू चली गयी।।

इसलिए कि लड़की की देखभाल माँ ही कर सकती है और लड़के का पिता।
=CONCAT(A903,B903)
इसलिए कि लड़की की देखभाल माँ ही कर सकती है और लड़के का पिता।।


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