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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

संका हूली बन में फूली, सास मरी उस नंद झडूली
एक जंगली बूटी, शंखपुष्पी, झडूले बच्चे वाली, अर्थात् पुत्रवती, जिस बच्चे का मुंडन-संस्कार न हुआ हो उसे झडूला या झलरा कहते हैं, सास मरी और ननद के लड़का हुआ हिसाब फिर ज्यों का त्यों।

सकरें देबी सुमरों तोय मुकतें खबर बिसर गई मोय
संकट में, मुक्ति होने पर, संकट से छुटकारा पाने पर, विपत्ति में सब भगवान का स्मरण करते हैं। बाद में भूल जाते हैं।

सकरे में समदियानों
दो समधियों का समधिनों के परस्पर मिलने का दस्तूर, समधी के आगत स्वागत में होने वाला आयोजन, ज्योनार आदि समधौरा, छोटी जगह में कोई बड़ा काम फैलना।

सत्तरा बड़ैरे करिया करे
बड़ौरा, घर के छप्पर का ऊपरी हिसा, सत्तरह बडैरे काले किये अर्थात् सत्तरह घर बदनाम किये, प्रायः दुश्चरित्र स्त्री के लिए कहते हैं।

सदा बेल हरयाय
सदा बेल हरयाती रहे, ब्राह्मणों की ओर से आशीर्वाद।

सबई किसानी हेटी, अगनइयाँ पानी जेठी
रबी की फसल को अगहन में पानी मिल जाय तो समझो बड़ा काम हुआ।

सब एकई थैलिया के चट्टो-बट्टे
सब एक से है, चालाकी में कोई कम नहीं।

सब धान बाईस पसेरी
जहाँ अच्छे और बुरे, मूर्ख और पंडित, न्याय और अन्याय का कोई विचार न हो वहाँ कहते हैं।

सब बेटा के बाप
जहाँ सब अपनी अपनी हुकूमत चलायें।

सबरी निपुर गई
सब कलई खुल गयी, बहुत चलायी पर एक नहीं चली।


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