बेटी अपना कपाल टटोलती हैं, घर का कोई छोटा आदमी-लड़का या लड़की,जब अपने हाथ से अपना कोई बड़ा अनिष्ठ कर लेता है तब दुःख, क्षोभ और व्यंग्य में कहते हैं।
टठिया में खाओ, तौ कई खपरा में खेयें
थाली में खाओ, तो कहा, खप्पर में खायेंगे, हित की कहने पर कोई उल्टा चले तब।
टाँग तरे हो निकर जें
हार मान लेंगे, तुम्हारे चाकर बन जायेंगे।
टाँय-टाँय फिस
आडंबर तो बहुत, परंतु अंत में काम कुछ नहीं।
टिकली सेंदुर सें गये तौ का खाबे मेंई बज्जुरपरै
बनाव-श्रृंगार की सामग्री से गये तो क्या पेट भर भोजन भी नहीं मिलेगा।
टेड़ी खीर है
जब कोई मामला बेढब तरीके से उलझ जाय और उसे सुलझाना बहुत कठिन हो तब कहते हैं।
टटन का अनुप्रास मूल शब्द अथवा अटा, अटारी, टटा का बहुवचन, बाँस की फंचियों या पतली टहनियों की बनी टट्टी, इधर की वस्तु उधर रखना, बे सिर पैर का काम करना।
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=CONCAT(A16,B16)
टटन का अनुप्रास मूल शब्द अथवा अटा, अटारी, टटा का बहुवचन, बाँस की फंचियों या पतली टहनियों की बनी टट्टी, इधर की वस्तु उधर रखना, बे सिर पैर का काम करना।।
टेहूनी से ऊपर हाथ में पहिनने का चाँदी या सोने का आभूषण, किसी की बहू और कोई सराफ की दुकान पर उसका बरा बदलवाने जाए जब कोई अनुचित रूप से किसी के काम में हस्तक्षेप करे, अथवा बुरी नीयत से किसी की सहायता को उद्यत हो।
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=CONCAT(A173,B173)
टेहूनी से ऊपर हाथ में पहिनने का चाँदी या सोने का आभूषण, किसी की बहू और कोई सराफ की दुकान पर उसका बरा बदलवाने जाए जब कोई अनुचित रूप से किसी के काम में हस्तक्षेप करे, अथवा बुरी नीयत से किसी की सहायता को उद्यत हो।।