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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

उँगरकटा नाव धर दओ
उँगली काट खाने वाला नाम रख दिया, व्यर्थ बदनाम कर दिया।

उँगरिया पकर कें कौंचा पकरबौ
उँगली पकड़ कर पहुँचा पकड़ना, थोड़ा सहारा पाकर गले पड़ जाना।

उखरी में मूँड़ दओ, तौ मूसरन कौ का डर
जब कोई भला या बुरा काम करने पर उतारू ही हुए तो फिर डर किस बात का।

उजरूऊ के संगे कपला कौ नास।
उजाड़ करने वाली, चोरी से दूसरों का खेत चरने वाली गाय, कपिला-सीधी गाय, बुरे के साथ सीधे आदमी को भी कष्ट भोगना पड़ता है।

उजरे गाँव में अरंडई रूख
जहाँ कोई वृक्ष नहीं होता वहाँ अरंड को ही लोग बड़ा वृक्ष मानते हैं।

उठते पाँव दुनिया तकत
पदच्युत होते हुए व्यक्ति पर सबकी दृष्टि रहती है, सब उसकी संकटापन्न स्थिति से लाभ उठाना चाहते हैं।

उठाई जीब तरूआ से दै मारी
जो मन में आया सो कह दिया।

उठौवल चूल्हो
ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त जिसके रहने का कोई पक्का ठिकाना न हो।

उड़त चिरइयाँ परखत
उड़ती चिड़िया परखता है अर्थात् बहुत होशियार है।

उड़ौ चून पुरखन के नाव
चक्की पीसते समय जो चून उड़ गया या नष्ट हो गया वह पितरों को समर्पित, किसी को ऐसी वस्तु देकर अहसान करना जो अपने काम न आये।


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