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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

पंछियन के पियें समुद्र हिलोरें नई घटती
पक्षियों के पीने से समुद्र का जल कम नहीं होता।

पँवारों गाऊत फिरत
व्यर्थ का रोना रोते हैं।

पइसा आई,पइसा बाई, पइसा बिन ना होय सगाई
माँ पैसे से ही सब कुछ होता है।

पइसा की डुकरो टका मुड़ाई
जितने की तौ असल वस्तु नहीं, उतने से अधिक उस पर खर्च।

पइसा की भाजी, टका कौ बगार
बघार, मिर्च, मसाले आदि का छौंक।

पइसा के लानें सबरे करम करनें परत
पैसे के लिए सब कर्म करने पड़ते हैं।

पइसा के लाने सरगें थींगरा लगाउत
पैसे के लिए आकाश में थींगरा लगाते हैं, अर्थात् संभव-असंभव सभी कार्य आदमी करता है।

पइसा से पइसा आऊत
पैसे से पैसा आता है, पैसे को पैसा खींचता है।

पइसा हात कौ मैल है
पैसा हाथ का मैल है, उसके आने का कोई सुख या जाने का रंज नहीं करना चाहिए।

पऊत पऊत की कच्चीं अथवा खोटीं
रोटियाँ तैयार होते-होते भी खाने को मिलेंगी इसका विश्वास नहीं।


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