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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

भई गत साँप छछूदर केरी
किसी काम को न करते बनता न छोड़ते।

भगत तौ भौत बैकुंठ सकरो
जब किसी जगह लोगों के बैठने के लिए स्थान की कमी हो तब।

भगे भूत को लंगोटी भौत
जिससे कुछ भी मिलने की आशा न हो उससे थोड़ा भी मिल जाये तो बहुत समझो।

भड़भड़िया अच्छो, पेट पापी बुरओ
जिसके पेट में कोई भी बात न रहे वह अच्छा, परन्तु मन में कपट रखने वाला बुरा।

भरम गओ तौ सब गओ
एक बार घर का भेद खुलने से सब इज्जत-आबरू चली जाती है।

भरी गाड़ी में सूप भारू नई होत
भरी गाड़ी में सूप भारी नहीं होता। बहुत खर्चे में थोड़ा खर्चा आसानी से समा जाता है।

भरे समुन्दर में घोंघा प्यासो, भरोसे की भैंस पड़ा ब्यानी
मानों कोई विलक्षण बात हुई।

भली कतन का जात
भली बात कहने में क्या खर्च होता है।

भले कौ जमानो नइयाँ
भले का जमाना नहीं।

भाँड़न के घोड़े, खायें भौत चलें थोड़े
बड़े आदमियों के नौकरों के लिए कहते हैं।


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