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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

चंग पै चढ़ावो
इधर-उधर की बात करके अपने अनुकूल बनानास मिजाज बढ़ा देना।

चंड़ाल चौकड़ी
दुष्टों की जमानत।

चटू के ब्याव, भेंडू न्योतें आई
चटोर स्त्री के यहाँ ब्याह में चोट्टी न्योते आयी, जैसे के यहाँ तैसे ही आते है, अथवा जैसे को तैसे मिलते हैं।

चट्ट राँड पट्ट ऐबाती
किसी बात के लिए उतावली मचाने पर कहते हैं।

चतुर कों चौगुनी, मूरख कों सौगुनी
दूसरे की संपत्ति चतुर को चौगुनी और मूरख को सौगुनी प्रतीत होती है।

चनन के धोकें कऊँ मिर्चे न चबा जइयो
चनों के धोखे कहीं मिर्च मत खा जाना, अर्थात् काम उतना आसान नहीं जितना समझ रखा है, समझ बूझ कर हाथ डालना।

चना चिरौंजी हो रये
चना चिरौंजी की तरह मँहगे हो रहे हैं, अथवा इतने दुष्प्राप्य है कि चिरौंजी की तरह मीठे लगते है, खाद्ध-वस्तुओं के बहुत मँहगे होने पर कहते हैं।

चरमाक के चार हींसा
चालाक सदैव मुनाफे में रहता है।

चलत बैल खों अरई गुच्चत
बैल हाँकने की लकड़ी जिसमें एक नुकीली कील और चमड़े की बधियाँ लगी रहती हैं, काम करते हुए आदमी को छोड़ते हैं।

चलती कौ नाव गाड़ी
गाड़ी जब तक चलती है तभी तक गाड़ी है, अन्यथा काठ-कबाड़ का ढेर है, ऐसे आदमी के लिए प्रयुक्त जिसकी बात लोग मानते हों अथवा जिसके हर काम आसानी से होते हों।


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