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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

रंग में आई कोंसिया, कये खसम में मंसिया
लाड़ में आकर धृष्टता-पूर्ण बर्ताव करना।

रंग में भंग
शुभकार्य में विघ्न।

रँडुआ की बिटिया और राँड़ कौ लरका जे दोऊ बिगर जात
इसलिए कि लड़की की देखभाल माँ ही कर सकती है और लड़के का पिता।

रँधो भात
रँधा भात शीघ्र बिगड़ जाता है और एक दिन के बाद ही खाने के योग्य नहीं रहता, अतः कहावत का प्रयोग ऐसी वस्तु के लिए होता है जो बहुत दिनों तक घर में न रखी जा सके, अथवा हजम न की जा सके, जैसे विवाह के योग्य सयानी लड़की अथवा पराई थाती।

रइये भुक्ख तौ रहये सुक्ख
पेट को थोड़ा खाली रखने से आदमी सुख में रहता है।

रतनन के आँगे दिया नई बरत
रत्नों के आगे दीपक नहीं जलता।

रमतूला दैबो
तुरही की तरह का एक बाजा, ढिंढोरा पीटना, घोषणा करना।

रबा धरबो
सोने-चाँदी के आभूषणों पर छोटा गोल कण जमाने को रवा रखना कहते हैं, उत्तेजित करना, उकसाना।

रबा पै जवा धरबो
छोटी वस्तु पर बड़ी वस्तु जमाना, किसी को और अधिक उत्तेजित करना।

रस में बिस घोर दओ
रंग में भंग कर दिया।


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