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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

थर न थराई, हरामजादी कुआई
किसी काम में एहसान की जगह व्यर्थ अपयश हाथ लगना।

थुरमोलू और दुधार, लमथनू और नैनवार
गाय सस्ती हो और दुधार भी हो, लंबे थनों की हो, और अधिक घी वाली हो, जब कोई कम दामों में बढ़िया चीज लेना चाहे तब कहते हैं।

थॅूककें चाटत
कह कर मुकर जाते हैं।

थैलियॉ सिमा राखो
थैलियॉ सिला कर रखो, अनुचित मॉग करने पर व्यंग्य में।

थोथा चना बाजे घना
निकम्मा आदमी बकवास बहुत करता है।

थोरी कई कबीरदास, भौत कई संतन
कबीर ने थोड़े में ही सब कुछ कह दिया, दूसरों ने उसे और बढ़ाया।

थोरो थोरो सब खाने आउत
थोड़ा-थोड़ा सभी चीजों का स्वाद लेना चाहिए।

थोड़ी पूँजी धनी को खा जाती है।
=CONCAT(A135,B135)
थोड़ी पूँजी धनी को खा जाती है।।

थोड़ा-थोड़ा इकट्ठा करके बहुत होता है।
=CONCAT(A141,B141)
थोड़ा-थोड़ा इकट्ठा करके बहुत होता है।।

थोड़े-थोड़ा करके बहुत इकट्ठा हो जाता है।
=CONCAT(A211,B211)
थोड़े-थोड़ा करके बहुत इकट्ठा हो जाता है।।


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