logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

कभऊँ नाव गाड़ी पै, कभऊँ गाड़ी नाव पै
भिन्न-भिन्न प्रकार के दो मनुष्यों को भी आपस में एक दूसरे की सहायता की आवश्यकता पड़ती है, नाव जब बन कर तैयार हो जाती है तब उसे गाड़ी पर लाद कर ही नदी में ले जाते हैं और गाड़ी जब नदी पार उतारी जाती है तब नाव पर चढ़ा कर ही।

कभऊँ सक्कर घना, कभऊँ, मुट्ठक चना
कभी खूब शक्कर और कभी केवल मुट्ठी भर चने, संसार में सब दिन एक से नहीं जाते, ईश्वर जो कुछ दे उसी में संतोष करना चाहिए।

कमरा कमरा की गाँठ नई लगत
कम्बल कम्बल की गाँठ नहीं लगती, बड़ों में समझौता कराना कठिन होता है।

कयें कयें धोबी गदा पै नई चढ़त
आदमी कोई काम सदैव भले ही करता रहे, पर कहने से वही काम नहीं करता।

कयें खेत की सुनें खरयान की
कुछ कहा जाय और कुछ समझा जाय, देखति हौं ब्रज की लुगाइन भयौ धौं कहा, खेत की कहे तें खरियान की समझतीं-ठाकुर।

करता से करतार हारो
कर्मठ व्यक्ति के सामने ईश्वर भी हार मानता है।

करमन की गत कोऊनें नई जानी
भाग्य का लिखा कोई नहीं जान पाता।

करमहीन खेती करे, बैल मरें कै सूखा परै
कर्महीन के कोई कार्य सफल नहीं होते।

कर लओ सो काम, भज लओ सो राम
संसार में आकर जितना काम कर लिया और भगवान का जितना नाम ले लिया उतना ही अच्छा, आलस करना ठीक नहीं।

करिया अच्छर भैंस बरोबर
अपढ़ के लिए प्रयुक्त।


logo