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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

करिये मन की, सुनिये सब की
बात सब की सुननी चाहिए, परन्तु करनी मन की चाहिए।

करी और करकें न जानी
एक तो खोटा काम किया और फिर वह भी चतुराई से नहीं।

करी न खेती, परे न फंद घर घर डोलें मूसरचंद
काम में मन न लगाने वाले अल्हड़ और स्वतंत्रता-प्रिय व्यक्ति के लिए प्रयुक्त।

करील कौ काँटो, साढ़े सोरा हात लाँबो
गप्प हाँकना।

करूआ तरें ठाँड़े
नीम का वृक्ष, एक ग्रामीण देवता, जिनका निवास अथवा आम के वृक्ष पर माना जाता है। आम, नीम करूआ बसै, ऊमर बसत मसान।

करें न धरे सनीचर लगो
कुछ करते-धरते तो है नहीं, ग्रहों को दोष देते हैं।

करेला और नीम चढ़ो
एक तो किसी मनुष्य का स्वभाव पहले से ही खराब हो, और फिर कुसंगत में पड़ कर अथवा ऊँचा पद पाकर वह और भी खराब हो जाय तब कहते हैं।

काँटे की तौल
बिलकुल ठीक बात।

काँटे से काँटो निकरत
काँटे से काँटा निकलता है, जैसे को तैसा मिल जाय तभी काम चलता है।

काँ राजा भोज, काँ डूँठा तेली
कहाँ राजा भोज, कहाँ डूँठा तेली।


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