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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

आदमियन में नौआ, और पंछियन में कौआ
मनुष्यों में नाई और पक्षियों में कौआ ये बड़े चतुर होते है।

आदमी जानिये बसें, सोनों जानिये कसें
आदमी की परख निकट संपर्क में रहने और सोने की परख कसौटी पर कसने से होती है।

आदमी चलो जात, पै बात रै जात
आदमी चला जाता है, पर बात रह जाती है।

आप खायँ हरक्कत, बाँट खायँ बरक्कत
अकेले खाना ठीक नहीं, बाँट कर खाने से धन-दौलत की बढ़ती होती है।

आप न जावे सासरे औरन खाँ सिख देय
आप न करें, दूसरों को उपदेश दें, आप कहें नाहीं करे, ताको यह है हेत, आप न जावे सासरे, और को सिख देत।

आपुन ठाँड़े गैल में, करें और की बात
स्वयं तो दुनिया से जाने की तैयारी में हैं दूसरों की चिन्ता करते हैं।

आ बैल मोय मार
आ बैले मुझे मार, जानबूझ कर विपत्ति बुलाना।

आम खाने कै पेड़े गिनने
अपने काम से मतलब या इधर-उधर की बातों से।

आय न साय चून चाल कैं दै पओ
घर में तो कुछ है नहीं, फिर भी कहते हैं कि चून चाल कर रोटी बनाओ।

आये ते हर भजन कों औंटन लगे कपास
आये थे किसी और काम को और करने लगे कुछ और।


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