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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

अँदरन में काने राजा
अंधों में काने राजा।

अँदरा कबै पतयाय जब आँखन देखे
अंधे को किसी बात का तभी विश्वास होता है तब आँखों से देखे, मूर्ख को हर बात का प्रत्यक्ष चाहिए।

अँदरा बाँटे रेबड़ी चीन चीन कें देय
किसी वस्तु को बाँटते समय हेर-फेर कर अपने जान-पहिचान वालों को ही देना।

अंधे पीसें कुत्तें खायें
अँदरा बाँटे जेवरी।

अँसुआ न मसुआ, भैंस कैसे नकुआ
व्यर्थ रूठने और नाक फुलाने वाले बच्चों के लिए कहते हैं।

अक्कल के पाछे लट्ठ लयें फिरत
अक्ल के पीछे लट्ठ लिये फिरते हैं। बुद्धि को तिलांजालि दे रखी है।

अक्कल बड़ी कै भैंस
बड़ा या बलवान होना ही सब कुछ नहीं, वरन बुद्धि इन सबसे बड़ी वस्तु है।

अक्कल बाजार में मिलै तौ कोऊ मूरख काये खां रये
अक्ल बाजार में मोल मिले तो कोई मूर्ख क्यों रहे? अर्थात् अक्ल पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।

अकुलाएँ खेती, सुसताएँ बंज
खेती में तुर्त-फुर्त और व्यापार में धैर्य से काम लेने पर ही सफलता मिलती है।

अकेलो चना भार नई फोरत
अकेला आदमी कुछ नहीं कर सकता, परस्पर सहयोग से सब काम होता है।


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