अर्जक जनसंख्या देश का कमाऊ वर्ग होता है जो उत्पादन कार्यों तथा आय अर्जन में लगा हुआ होता है। इसे देश की श्रमशक्ति का स्रोत माना जाता है।
जनांकिकीय दृष्टि से देश की जनसंख्या को आयुवर्गीय ढाँचे अथवा वय संरचना के अनुसार तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
1. 15 वर्ष से कम आयु के लोग—आश्रित बच्चे
2. 65 वर्ष से ऊपर की आयु के आश्रित वृद्ध लोग
3. 15 से 65 वर्ष की आयु की अर्जक जनसंख्या
भारतीय जनगणना आयुक्त के अनुसार अर्जक जनसंख्या 15-60 वर्ष का आयु वर्ग माना जाता है।
Activity analysis
सक्रियता विश्लेषण
सक्रियता विश्लेषण उत्पादन व संसाधन आबंटन की ऐसी रैखिक प्रोग्रामन विधि है जिसके अन्तर्गत यह देखा जाता है कि वस्तुओं, प्रौद्योगिकी और सक्रियता, इन तीनों को मिलाकर या अकेले-अकेले इष्टतम प्रतिफल के लिए कैसे प्रयोग किया जा सकता है।
सक्रियताओं की समष्टि से प्रौद्योगिकी का निर्माण होता है। उत्पादन की प्रक्रिया में निरन्तर सक्रियता बढ़ाई जा सकती है या कम की जा सकती है। इसमें भाज्यता का गुण होता है।
सक्रियता के संरचनात्मक गुणांकों में किसी प्रकार का फेर-बदल किए बिना इसे योज्य माना जाता है।
वस्तुओं के अन्तर्गत उत्पादन के मूल कारण, मध्यवर्ती उत्पाद तथा अंतिम वस्तुएं सभी शामिल हैं।
सक्रियता विश्लेषण' को उत्पादन क्रिया के संदर्भ में नियंत्रण की विधियों का अध्ययन भी कहा जा सकता है।
Additive functtion
योज्य फलन
ऐसा फलन जिसमें दो मात्राओं का जोड़ या संयोग हो अर्थात् जब फलन का योग प्रत्येक मात्रा के फलनात्मक मान के बराबर हो। इसे योज्यता गुण भी कहा जाता है।
Adjoint matrix
सहखंडज आव्यूह
सहगुणनखंडों के आव्यूह का परिवर्त आव्यूह।
तुल∘ दे∘ co-factor तथा matrix
Adjustment equations
समायोजन समीकरण
असंतुलन की स्थिति में अर्थ-व्यवस्था या बाजार के रवैये या रूख को बताने वाले समीकरण।
इन समीकरणों द्वारा हमें संतुलन की स्थितियों, उसको बिगाड़ने वाले कारकों और ऐसे तत्वों का ज्ञान होता है, जिनके द्वारा अर्थव्यवस्था पुनः समायोजित होती है एवं संतुलन की ओर आती है।
Adolescent sterility
किशोरकालीन बंध्यता
किशोर विवाह में प्रथम सहवास और पहले प्रसव के बीच की लंबी अवधि किशोरकालीन बंध्यता कहलाती है।
यह बंध्यता किसी प्रकार के कृत्रिम जन्म निरोध के साधनों के प्रयोग के बावजूद हो सकती है।
Age specific death rate
आयु विशिष्ट मृत्यु दर
किसी जनसंख्या में आयुवर्ग की दृष्टि से अभिकलित मृत्यु दर।
इसका सूत्र यों है:—
आयु विशिष्ट मृत्यु दर =(x आयु पर मरने वाले लोगों की संख्या)/(x आयु की मध्य वर्ष की जनसंख्या) ×1000
इसी प्रकार आयु विशिष्ट प्रजनन दर निकालने का सूत्र यह है :—
आयु विशिष्ट प्रजनन दर =(x आयु वाली स्त्रियों से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या) /(x आयु की मध्यवर्ष की स्त्रियों की जनसंख्या) ×1000
Age specific fertility rate
आयु विशिष्ट प्रजनन दर
दे∘ age specific death rate
Age specific live birth conception rate (ASLC)
आयु विशिष्ट जीवित गर्भधारण दर
आयु विशिष्ट जीवित गर्भधारण दर का अभिप्राय यह है कि किसी विशेष आयु की प्रति सहस्र या प्रति सैकड़ा विवाहित स्त्रियों की गर्भधारण की सामान्य संभावनाओं, अर्थात् ऐसी परिस्थितियाँ जिनमें वे सामान्यतया स्वतः गर्भधारण नहीं कर सकतीं, तथा गर्भ-निरोधक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए जीवित गर्भधारण की संख्या का परिकलन करना।
इस दर का उपयोग वर्ष के दौरान स्थगित जन्मों की संख्या या किसी गर्भनिरोधक उपाय की सफलता को आँकने के लिए किया जाता है जैसे प्रसव के बाद लूप लगवाने वाली स्त्रियों के प्रसंग में वास्तविक दर जानने के लिए पिछले वर्ष की 75 प्रतिशत दर में चालू वर्ष की 25 प्रतिशत दर जोड़ दी जाती है।
Aggregation
समुच्चयन
समष्टि अर्थशास्त्रीय विश्लेषण जैसे, कीमतों का सामान्य स्तर, राष्ट्रीय उत्पादन तथा राष्ट्रीय आय आदि के लिए प्रयोग किए जाने वाले समूह या समुच्चय अथवा समस्त या औसत आँकड़े।
इसके विपरीत व्यष्टि अर्थशास्त्रीय विश्लेषण में वस्तु की कीमत, किसी उद्योग अथवा फर्म का उत्पादन अथवा प्रति व्यक्ति आय आदि पदों का प्रयोग किया जाता है।
पहले वर्ग में हम एक समूह को सकल रूप में लेते हैं तथा अलग-अलग वस्तुओं की कीमतों या उत्पादन की इकाइयों अथवा आय का योग करके उनका औसत निकालकर उन्हें एक इकाई मानते हैं। इस प्रक्रिया को समुच्चयन प्रक्रिया कहा जाता है।
समुच्चयन के लिए भिन्न-भिन्न वस्तुओं तथा इकाइयों के मौद्रिक मूल्यों को उनकी मात्रा से गुणा करके जोड़ लिया जाता है और फिर उनका औसत निकालकर एक सामान्य संकेत निर्धारित कर दिया जाता है जो किसी विशेष समय पर उनकी समष्टिगत मात्रा का द्योतक होता है, जैसे सामान्य कीमत स्तर को p लिख सकते हैं और राष्टीय उत्पादन को x लिख सकते हैं।
समष्टि अर्थशास्त्रीय पद्धति में समुच्चयन की समस्या एक मूलभूत समस्या है क्योंकि आर्थिक मॉडलों में हमारे पास चरों की इतनी संख्या होती है और उनमें परस्पर इतनी अंतर होता है कि उनका एक समूह या समुच्चय बनाये बिना हम उनका विश्लेषण या अध्ययन नहीं कर सकते।