चतुर्थक किसी श्रेणी को चार भागों में विभाजित करते हैं।
यदि हम श्रेणी को दो भागों में बाँटे और तदोपरांत निम्न तथा उपरि भागों को आगे दो-दो भागों में और विभाजित करें तो हमारे पास चार भाग हो जाते हैं।
लघु चतुर्थक या प्रथम चतुर्थक वह चतुर्थक है जिससे एक चौथाई भाग छोटा तथा तीन चौथाई भाग बड़ा है। अर्थात् 25 प्रतिशत पदों का मान इससे छोटा तथा 75 प्रतिशत पदों का मान इससे बड़ा होता है।
द्वितीय चतुर्थक वास्तव में माध्यिका है तथा तृतीय या गुरू चतुर्थक वह चतुर्थक है जिससे तीन चौथाई भाग छोटा तथा एक चौथाई भाग बड़ा है।
Quartile deviation
चतुर्थक विचलन
विश्लेषण का एक माप जिसकी गणना चतुर्थकों के आधार पर की जाती है अर्थात्:-- Q= (Q_3=Q_1)/2
चतुर्थक विचलन को अर्थ अन्तश्चतुर्थक परिसर भी कहते हैं क्योंकि यह गुरू तथा लघु चतुर्थकों के अंतर को दो से भाग करने पर प्राप्त होता है।