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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Identification
अभिनिर्धारण
किसी दिए गए मॉडल के पर्याप्त प्रेक्षित आँकड़ों के आधार पर मॉडल के संरचना प्राचलों के मानों का अद्वितीय रूप से निर्धारण।
यदि मॉडल का ऐसा निर्धारण न हो सके (भले ही कितने प्रेक्षित आँकड़े क्यों न हों ) तो इसे अभिनिर्धार्य कहते हैं।
अभिनिर्धारण के कारण दो प्रकार से उदित होते हैं:— (i) आँकड़ों का सही न होना तथा (ii) मॉडल के प्रतिबंधों का पर्याप्त न होना।
साधारणतया अभिनिर्धारण की समस्या प्रतिबंधों को लेकर उठती है। यदि प्रतिबंध इतने हों कि प्राचल समूह का केवल एक आकलन प्राप्त हो सके तो मामला अभिनिर्धारण का कहा जाता है।

Identity
तत्समक/सर्वसमिका
ऐसा समीकरण जिसके दोनों पक्ष या पार्श्व चरों के सभी मानों के लिए समान हों।
तत्समक चरों के बीच किसी फलनीय संबंध को नहीं दर्शाता। यह मात्र एक स्वयंसिद्धि होता है। तत्समक को निर्धारित शर्तों के अधीन समीकरण के रूप में बदला जा सकता है।
ऐसा समीकरण चरों के प्रत्येक मान के लिए सही होता है।
किसी भी सर्वसमिका का समीकरण अवकलन के पश्चात भी सत्य माना जाता है, बशर्ते कि वह समीकरण एक सर्वसमिका हो और इससे व्युत्पन्न फलन उसी चर से संबंधित हों।

Illegitimacy rate
अवैधता दर
प्रति हजार अविवाहित स्त्रियों के पीछे अवैध रूप से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या।

Immegration= (in-migration)
आप्रवासन
प्रवसन की वह स्थिति जिसमें दूसरे देशों के लोग किसी विशेष देश में आकर बस जाते हैं परंतु जिन्हें वहाँ की नागरिकता प्राप्त नहीं होती।

Implicit function
निस्पष्ट फलन
ऐसा फलन जिसमें आश्रित चर का संबंध स्वतंत्र चरों से स्पष्टतया व्यक्त नहीं होता, जैसे:— x^2+y^2+xy=a
इसमें x के किसी भी मान के लिए y का मान और y के किसी भी मान के लिए x का मान निकाला जा सकता है।
यह स्पष्ट फलन से केवल इस अर्थ में भिन्न है कि स्पष्ट फलन के अंतर्गत x के मानों के लिए y के मान तो निकाले जा सकते हैं किंतु y के मानों के दिए होने पर x के मान नहीं निकाले जा सकते।

Incidence rate (Public Health)
आपातित रोग दर (जन स्वास्थ्य)
किसी अवधि में औसत जनसंख्या के अनुपात में जितने नए रोगी आते हैं।

Income effect
आय प्रभाव
कीमतों में रद्दोबदल के कारण उपभोक्ता की आय की क्षतिपूर्ति के फल-स्वरूप उसकी आमदनी में होने वाली तबदीली से उसके खर्च संबंधी व्यवहार में देखे जाने वाले परिवर्तन।
तु∘ दे∘ substitution effect

Increasing function
वर्धमान फलन
ऐसा संतत फलन जिसमें स्वतंत्र चर के मान के बढ़ने पर आश्रित चर का मान भी बढ़ता जाता है वर्धमान फलन कहलाता है।

Independent variable
स्वतंत्र चर
ऐसा चर जिसके लिए कोई भी मान निर्दिष्ट किया जा सकता है।
जब किसी चर का मान हेतुक दृष्टि से संबद्ध चरों के मान से मुक्त रहकर निर्दिष्ट किया जा सकता है तब उस चर को स्वतंत्र चर कहते हैं।

Index number
सूचकांक
सूचकांक प्रत्यक्ष रूप में न मापे जा सकने वाले चरों में आपेक्षिक परिवर्तनों को मापने की युक्तियाँ हैं।
इनका उपयोग विभिन्न समयों पर या एक ही समय में विभिन्न स्थानों पर किसी विशेष घटना के स्तर की तुलना करने के लिए किया जाता है।
सूचकांकों की गणना करने के लिए जो सूत्र सामान्यतः प्रयोग में लाये जाते हैं वे इस प्रकार हैं :— (1) लस्पेरे सूचकांक: I_p=(〖ΣP〗^nq^o)/(〖Σp〗^o q^o )×100 यहाँ p^o, q^o, p^n, q^n क्रमशः आधार वर्ष में वस्तु का भाव, आधार वर्ष की मात्रा, चालू वर्ष में भाव तथा चालू वर्ष में वस्तु की मात्रा को प्रगट करते हैं।
(2) पाशे सूचकांक: I_p=(〖ΣP〗^n q^n)/(〖Σp〗^o q^n )×100
(3) ड्राबिश सूचकांक: I_p=1/2[(〖ΣP〗^n q^n)/(〖Σp〗^o q^n )×100+(〖ΣP〗^n q^n)/(〖Σp〗^o q^0 )×100]
मार्शल ऐजबक सूचकांक: I_p =(〖ΣP〗^n 〖(q〗^0+q^n))/(〖Σp〗^o 〖(q〗^0+q^n))×100
(5) फिशर का आदर्श सूचकांक: I_p=√(〖ΣP〗^n q^0)/(〖Σp〗^o q^0 )×100)(〖ΣP〗^n q^n)/(〖Σp〗^o q^n )×100) )


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