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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Labour force
श्रम शक्ति
रोजगार में लगे व्यक्तियों तथा बेरोजगारों की कुल संख्या।
किसी समय विशेष में 15 से 65 वर्ष के बाद सभी काम करने योग्य व्यक्तियों की संख्या जो या तो रोजगार में लगी हो या फिर काम की तलाश में हो।
श्रम शक्ति देश में आर्थिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है। इसमें बिना वेतन के काम करने वाले परिवार के सदस्य भी शामिल किए जा सकते हैं परंतु घरेलू काम-काज करने वाले सदस्यों जैसे गृहणियों आदि को शामिल नही किया जाता।

Lagrangian multiplier
लग्रांजी गुणक
इस गुणक का प्रयोग गणित में व्यवरूद्ध उच्चिष्ठ और अल्पिष्ट सिद्धांत में किया जाता है।
लग्रांज एक फ्रंसीसी गणितज्ञ थे। उन्होंने अपने नाम से नीचे दिया गया एक समीकरण दिया है जिसमें एक अनिशिचत गुणक λ की पुनः स्थापना की गई है: V=f(x,y) + λF(x,y)
उपर्युक्त फलन को यदि हम क्रमशः अवकलित करें तो हमें निम्नलिखित तीन समीकरण प्राप्त होंगे:— (i) Vx = fx + λFx = 0 (ii) Vy = fy + λFy = 0 (iii) Vλ = F (x,Y) = 0
लग्रांजी गुणक का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि व्यवरूद्ध अधिकतमीकरण और न्यूनमीकरण में अज्ञात प्राचलों से उनका निर्धारण करने वाले व्यववरूद्धों की संख्या अधिक होती है।
लंग्राजी समीकरणों का प्रयोग आर्थिक विश्लेषण में अधिकतमीकरण अरचयन संबंधी नीति निर्णय के समय किया जाता है। उद्यमकर्ताओं और फर्म को प्रायः अनेक विकल्पों में से एक का चयन करना होता है जब कि समय और साधन सीमित होते हैं और लक्ष्य अनेक। रेखीय प्रोग्रामन विधि में भी इस तकनीक का बड़ा महत्व है।

Law of growth (Production Technology)
संवृद्धि नियम (उत्पादन प्रोद्योगिकी)
एक प्रकार का वक्र या फलन जिसमें किसी नए उद्योग की वृद्धि का पथ दिखाया जाता है।
जब कोई नया उद्योग बनता है तो उसके उत्पादन की तकनीकी विधियों का भली भाँति विकास नहीं हुआ होता। प्रारंभ में इसकी उत्पादन ताकत भी ऊँची होती है। इसी प्रकार उस वस्तु की बाजार माँग भी धीरे-धीरे विकसित होती है। निर्माण विधि में पूर्णता लाने और बड़े पैमाने पर वस्तु के उत्पादन से उसकी माँग के बाजार की वृद्धि होती है। यह माँग एक स्तर पर जाकर संतृप्ति बिन्दु पर पहुँच जाती है। इस प्रकार वस्तु के उत्पादन और माँग के विकास को हम वृद्धि घात वक्र अथवा संवृद्धि नियम के रूप में निम्नलिखित फलन द्वारा व्यक्त कर सकते है: (i) dy/dt=f(y) (ii) dy/dt=t.y (iii) dy/dt=ky(a-y) संख्या (iii) पर दिए गए संवृद्धि समीकरण को राबर्टसन नियम भी कहते हैं। इसमें a संतृप्ति स्तर, k>0 आनुपातिकता स्थिरांक (a-y) मंदक कारक है।

Leontief dynamic system model
लियोन्तीफ गतिकी प्रणाली मॉडल
इस मॉडल के दो रूप होते हैं:— (क) बन्द मॉडल (ख) खुला मॉडल स्थैतिक बन्द मॉडल में जब पूँजीगत व्यवहार को सम्मिलित कर लिया जाता है तब मॉडल लियोन्तीफ गतिकी प्रणाली का मॉडल बन जाता है।
इसमें सर्वप्रथम Sij को परिभाषित किया करता है:— Sij=i उद्योग का उत्पाद जो कि j उद्योग में स्टॉक के रूप में रखा है। यह bij × j के बराबर होता है। यहां bij पूँजीगत गुणाक है, t के सापेक्ष अवकलित करने पर dij/dt=bij (d×j)/dt
i उद्योग का संतुलन समीकरण खुले मॉडल में निम्नलिखित होगा: xi=∑_(j=1)^2▒xij+ci+∑_(j=1)^2▒dSij/dt x_1=∑_(j=1)^2▒〖x_1 j〗+ci+∑_(j=1)^2▒dSij/dt अथवा X_1=x_11+x_12+c_1+(ds_11)/dt+(ds_12)/dt या X_1=x_11+x_12+c_1+b_11 (dx_1)/dt+b_12 (dx_2)/dt (क) इसी प्रकार X_2=x_21+x_22+c_2+b_21 (dx_1)/dt+b_22 (dx_2)/dt
या (क) समीकरण सैट लियोन्तीफ गतिकीय खुले प्रणाली मॉडल दो उद्योगों की व्याख्या करता है। लियोन्तीफ गतिकी बन्द प्रणाली के मॉडल में अंतिम माँग नहीं लिखी जाती है, अतएव i उद्योग का संतुलन समीकरण निम्न होगा: Xi=∑_(j=1)▒〖2+xij〗+∑_(j=1)▒2 dSij/dt X_1=x_11+x_12+b_11 (dx_1)/dt+b_12 (dx_2)/dt तथा X_2=x_21+x_22+b_21 (dx_1)/dt+b_22 (dx_2)/dt (ख) समीकरण सैट लियोन्तीफ गतिकीय बन्द प्रणाली का मॉडल दो उद्योगों की व्याख्या करता है।

Leontief static system model
लियोन्तीफ स्थैतिक प्रणाली मॉडल
इस मॉडल के अंतर्गत आगत-निर्गत विश्लेषण किया जाता है।
लियोन्तीफ स्थैतिक प्रणाली मॉडल दो या अधिक उद्योगों के कुल उत्पादन तथा माँग को एक तालिका के रूप में दर्शाता है।
यदि अर्थव्यवस्था में केवल दो उद्योग यथा कृषि तथा बड़े स्तर पर उत्पादन करने वाले निर्माणीय उद्योग हों तो इस मॉडल के अनुसार यह माना जाएगा कि कृषि उद्योग उत्पादन की माँग, निर्माणीय उद्योग, उपभोग तथा कृषि उद्योग द्वारा की जाती है।
इसी प्रकार निर्माणीय उद्योग के उत्पादन की माँग कृषि उद्योग, उपभोग तथा स्वयं निर्माणीय उद्योग द्वारा की जाती है।
इस मॉडल में दी गई तालिका में उद्योग अपनी पंक्तियों के अनुसार संतुलन को प्रकट करता है तथा स्तंभ उद्योग की तकनीक को दर्शाते हैं:— (TABLE) & (FORMULA)
बिना श्रम का उपयोग किए उत्पादन संभव नहीं है, अतएव श्रम प्रारंभिक आगत कहलाता है। अन्तिम उपभोग समांग को अलग कालम में लिखने के कारण उपर्युक्त मॉडल खुला स्थैतिक लियोन्तीफ प्रणाली मॉडल कहलाता है। यह मॉडल दो से अधिक उद्योगों की व्याख्या भी कर सकता है तब इसे उद्योग वाला खुला स्थैतिक लियोन्तीफ प्रणाली का मॉडल कहा जाएगा।
जब अंतिम उपभोग अलग स्तंभ में प्रदर्शित नहीं किया जाता है तथा श्रम को गृह क्षेत्र के उत्पादन के रूप में दिखाते हैं तब उपर्युक्त मॉडल को स्थैतिक लियोन्तीफ प्रणाली वाला मॉडल कहा जाता है। इसकी एक तालिका नीचे दी जाती है:— (TABLE)

Life table
जीवन सारणी
जीवन सारणी में गणितीय संबंधों द्वारा जीवन की भिन्न-भिन्न आयु पर मृत्यु फलन, उत्तरजीविता फलन और इनकी प्रायिकताओं तथा तात्कालिक मृत्यु अथवा मर्त्यतादर को दर्शाया जाता है। इसका दूसरा नाम मर्त्यता सारणी भी है।
जीवन सारणियाँ जन्म के समय प्रत्याशित आयु का अनुमान लगाने में बहुत महत्व रखती हैं और इस प्रकार इनका जनांकिकी संक्रमण की दृष्टि से विशेष अध्ययन किया जाता है।
जीवन सारणी का एक नमूना नीचे दिया जाता है। इसमें 7 स्तंभ दिए हए हैं:— -------------------------------------------------------------------------------------------------- आयु nqx lx ndx nLx Tx ex⁰ ---------------------------------------------------------------------------------------------------यहाँ पर:— nqx=x से x + n आयु वर्ग के बीच मरने वालों की प्रायिकता lx= जीवन सारणी के मूलांक (रेडिक्स ) lo से x यु तक जीवित रहने वालों की संख्या ndx=x और x + n आयु के बीच मरने वालों की संख्या nLx=x और x + n आयु के बीच बिताये जीवन वर्षों की संख्या Tx= n और x + n के बीच बिताये जीवन वर्षों की कुल संख्या ex⁰=x आयु पर जीवन की प्रत्याशा

Linear combination
रैखिक संयोजन
यदि एक ही क्रम वाले सदिश दिए हों और उन्हें क्रमशः एक-एक अदिश से गुणा करके जोड़ लिया जाये तो योग को रैखिक संयोजन कहते हैं।
उदाहरणार्थ यदि सदिश v_1,v_2,….v_n हों और अदिश λ_1,λ_2,….λ_n तो इनका रैखिक संयोजक होगा— λ_1 v_1+ λ_2 v_2 + λ_3 v_3,…….λ_n v_n

Linear dependence
रैखिक आश्रितता
यदि किसी रैखिक संयोजन का योग शून्य हो तथा उसमें कम से कम एक अदिश हो तो सदिश समूह रैखिक आश्रित कहलाता है।
यदि सभी अदिश शून्य हों तो सदिश समूह 'रैखिक मुक्त' कहलाता है।

Linear model
रैखिक मॉडल
रैखिक मॉडल से तात्पर्य एक ऐसे मॉडल से है जिसमें सभी समीकरणों के पद स्थिरांकों के रूप में या प्राचलों के रूप में दिए होते हैं और चरों के गुणनफल भी स्थिरांकों या प्राचलों के रूप में होते हैं।
ऐसा मॉडल तभी रैखिक चरों वाला कहलाता है जब इसका कोई भी चर पहले घात से अधिक न हो और न ही उसको किसी अन्य चर से गुणा या विभाजन करके दिखाया गया हो।
ऐसे मॉडल में जब कोई भी प्राचल किसी घात या गुणनफल या किसी दुसरे प्राचल के भागफल के रूप में नहीं दिखाया जाता तब इसे अज्ञात प्राचल वाला रैखिक मॉडल कहा जाता है।
कोई मॉडल चरों की दृष्टि से रैखिक हो सकता है परन्तु प्राचलों की दृष्टि से अरैखिक हो सकता है।

Linear programming
रैखिक प्रोग्रामन
रैखिक प्रोग्रामन एक गणितीय विधि है जिसके द्वारा किसी रैखिक ध्येय फलन को व्यवरूद्ध समताओं को ध्यान में रखकर अधिकतम अथवा न्यूनतम किया जा सकता है।
व्यवरूद्ध समतायें तथा असमतायें रैखिक होती हैं तथा जिस किसी ध्येय फलन को अधिकतम या न्यूनतम करना होता है उसके लिए रैखिक असमताओं तथा समताओं की सहायता से पहले उनका व्यवहार्य क्षेत्र ज्ञात किया जाता है। इस व्यवहार्य क्षेत्र के कोण बिन्दुओं पर ध्येय (लक्ष्य) फलन के समान्तर रेखाएं खींचकर केन्द्र से अधिकतम लम्बवत दूरी वाली समान्तर रेखा के कोण बिन्दु को समस्या का हल माना जाता है।
रैखिक प्रोग्रमन समस्या में यह अभीगृहीत रहता है कि उसका हल एकल है। यदि ध्येय फलन को न्यूनतम करना होता है तो व्यवहार्य क्षेत्र के उस कोने वाले बिन्दु को हल मानते हैं जिस पर समान्तर रेखा सबसे नीचे रहती है।


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