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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Radius vector
ध्रुवांतर रेखा- /-ध्रुवांतर सदिश
ऐसी रेखा जो बाण या शर की तरह मूल बिंदु ( 0, 0 ) से निकल कर घड़ी की सुईयों की भाँति एक चक्र या वृत्त बनाती है। इस सदिश की मिश्रित लंबाई व दिशा होती है।
यह सदिश गंतव्य बिंदु तक पहुँचने के लिए एक अद्वितीय सीधा मार्ग प्रशस्त करता है।

Random error
यादृच्छिक त्रुटि
वह त्रुटि जिसकी प्रकृति विचर की भाँति होती है।
वस्तुतः यह त्रुटि वास्तविक मान और प्रेक्षित मान के अन्तर के बराबर होती है और इसका बंटन प्रायिकताओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

Random variable
यादृच्छिक चर
ऐसा चर जिसका मान भिन्न-भिन्न समयों पर अलग-अलग होता है।
इस मान का निर्धारण यादृच्छिक आधार पर इस प्रकार होता है जैसे पाँसा फेंकने पर उसका कोई भी तल ऊपर आ सकता है। इस चर के प्रत्येक मान के लिए एक विशिष्ट प्रायिकता होती है।
ऐसे चरों को अर्थमिति में ग्रीक अक्षरों ε अथवा μ द्वारा प्रगट किया जाता है तथा इस प्रकार की यादृच्छिक घटना के संभव परिणामों को दिखाने वाली प्रायिकता सूची को, जिसमें प्रत्येक संभावना का उल्लेख किया जाना है, प्रायिकता बंटन की संज्ञा दी जाती है।
यह बंटन आरेखों अथवा सारणियों के रूप में भी दिखाया जा सकता है।

Range
परिसर
विक्षेपण का सबसे सरल माप।
यह चर के सबसे बड़े तथा सबसे छोटे मान का अन्तर होता है।
समष्टि की निम्न सीमा, तथा उपरि सीमा के बीच के विस्तार को परिसर कहते हैं।
इसे दो चरम पदों के बीच का अंतर भी माना जा सकता है अर्थात परिसर=उच्चतम मान-निम्नतम मान
न्यूनतम मान निम्न परिसीमा और अधिकतम मान ऊपरी परिसीमा कहलाती है।

Range chart
परिसर चार्ट
यह एक ऐसी सांख्यिकीय विधि है जिसमें चौड़ी पट्टियों द्वारा किसी आर्थिक तथ्य, जैसे उत्पादित माल या स्टॉक की कीमतों आदि को दिखाया जाता है।
यदि परिसर बड़ा होता है तो पट्टी का फैलाव ज्यादा होता है और जब कीमतों का परास थोड़ा होता है तब यह पट्टी सिकुड़ जाती है।
इस प्रकार के चार्ट में श्वेत रेखा बन्द भावों को दिखाती है। इसका एक नमूना नीचे दिया जाता है:-- (DIAGRAM)

Range of a function
फलन का परिसर
किसी फलन का y अक्ष पर प्रक्षेपण उसका परास या परिसर कहलाता है।

Rank correlation
कोटि सहसंबंध
कोटि सहसंबंध में श्रेणियों के वास्तविक परिणामों का उपयोग नहीं होता। इनमें पदों का उनके परिमाण के अनुसार कोटि-निर्धारण किया जाता है। कोटि सहसंबंध चरों को कोटि-निर्धारण द्वारा ज्ञात किया जाता है।
कई बार वास्तविक परिमाणों के स्थान पर युग्मित कोटियाँ पहले से दी होती हैं और उनके आधार पर निम्न सूत्र की सहायता से कोटि सहसंबंध गुणांक का परिकलन किया जाता है:— (FORMULA)
यहा dR संगत पदों की कोटियों का अंतर है तथा N युग्मित कोटियों की संख्या है।

Rank of a matrix
आव्यूह की कोटि
आव्यूह की कोटि स्वतंत्र रूप से लिखित पंक्तियों की संख्या के बराबर होती है अथवा उतने स्वतंत्र स्तंभों के बराबर होती है जो आव्यूह में दिए गए होते हैं।
आव्यूह कुछ स्तंभों (अथवा पंक्तियों) का समुच्चय होता है जिसमें पंक्तियाँ एक विशिष्ट क्रम में लिखे गए सदिशों के समुच्चय के बराबर होती हैं।

Rate of inflation
स्फीति दर
स्फीति दर एक अर्थशास्त्रीय संकल्पना है। इसके अनुसार यदि किसी चर (कीमतों) के परिवर्तन की दर दो भिन्न-भिन्न समयों में मालूम करनी हो तब यह देखा जाता है कि कालांतर में अधिमाँग के फलस्वरूप कीमतों में होने वाले परिवर्तन की दर में कितनी वृद्धि हुई है। यह अनुपात स्फीति दर कहलाता है।
इसे हम समय-पथ पर काल अक्ष के ढाल या उसकी स्पर्श रेखा द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। स्फीति का सामान्य फलन P= f(t) होता है और परिवर्तन की दर को हम dp/dt अथवा P^1द्वारा व्यक्त करते हैं।
जब P^1=O होता है, तो कीमतें स्थिर होती हैं और जब P^1 < O होता है, तब अवस्फीति की स्थिति होती है। और जब P^1> O होता है, तब स्फीति के बढ़ने की स्थिति होती है।

Rational function
परिमेय फलन
ऐसा फलन जिसमें y को x चरों वाले दो बहुपदों के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है यथा:— y= (x-1)/(x^2+2x+4) अथवा y=a/x xy=a
तुल∘ दे∘ function


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