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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Saddle point
पल्याण बिन्दु / काठी बिन्दु
जब किसी खेल समस्या में एक फलन z=f(x,y) होता है और x और y का परास सतत होता है और इसमें 1≥x तथा y≥0 के बराबर होता है तब इस फलन का आरेख बनाने पर उसकी सतह पर एक ऐसा बिन्दु बनता है जिसे पल्याण या काठी बिन्दु कहा जाता है।
यहाँ पर दोनों खिलाड़ियों की युक्तियाँ संगत तथा स्थिर होती हैं और यह बिन्दु इस फलन का संगत तथा स्थाई हल माना जाता है।
किसी आव्यूह में एक काठी बिन्दु होता है, किसी में दो और किसी में कोई नहीं। इन बिन्दुओं के आधार पर समस्या का हल ढूंढने के लिये इष्टतम बिन्दुओं का चुनाव किया जाता है।

Sample
प्रतिदर्शी
समष्टि या सम्मुच्चय का एक अंश जिसका चयन किसी यादृच्छिक अथवा अन्य विधि से समष्टि या समुच्चय के बारे में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है।

Sample drawing
प्रतिदर्श चयन
समष्टि में से कुछ प्रतिनिधि इकाइयों के चयन की प्रक्रिया।
यह बहुधा प्रायिकता के सिद्धान्तों के अनुरूप लागू की जाती है।
प्रतिदर्श चुनने की कई विधियाँ प्रचलित हैं जिनमें एक विधि यादृच्छिक प्रतिचयन की है। इसमें प्रतिदर्श के चुनाव के नियमों या विशिष्टियों का स्पष्टतः उल्लेख किया जाता है तथा प्रतिदर्श का चुनाव यादृच्छिक संख्याओं की एक सूची के आधार पर किया जाता है जिन्हें टिपेट संख्याएं कहते हैं।

Sample size
प्रतिदर्श परिमाण
प्रतिदर्श में सम्मिलित कुछ इकाइयों की संख्या को प्रतिदर्श परिमाण कहते हैं।
बहुचरणी प्रतिदर्श में प्रतिदर्श परिमाण से आशय अंतिम चरण पूरा होने तक सम्मिलित कुल इकाइयों की संख्या से होता है।

Sample survey
प्रतिदर्श सर्वेक्षण
ऐसा सर्वेक्षण जो किसी प्रतिचयन विधि का प्रयोग करके किया जाए।
प्रतिदर्श सर्वेक्षण में इस प्रकार की पूरी समष्टि के स्थान पर केवल प्रतिदर्श की इकाइयों का सर्वेक्षण किया जाता है।

Sampling distribution
प्रतिचयन बंटन
विभिन्न प्रतिदर्शों के माध्य मानों का उनकी बारंबारताओं के अनुसार वर्गीकरण प्रतिचयन बंटन कहलाता है।
प्रतिचयन बंटन दत्त परिमाण के सरल प्रतिदर्शों की एक बड़ी संख्या से परिकलित एक विशेष प्रतिदर्शज के मानों का बारंबारता बंटन होता है तथा उस प्रतिदर्शज में विचरण का वर्णन करता है।
यह एक सतत बंटन है तथा समष्टि की प्रकृति तथा प्रतिदर्श के परिमाण द्वारा निर्धारित होता है।

Scalar
आदिश
आदिश एक ऐसी राशि है जिसमें दिशा का आयाम नहीं होता। इसका प्रयोग अमूर्त बीजगणित में किया जाता है।
सदिश बीजगणित में यदि सादिश ν हो और उसको λ से गुणा करें तो λν में λ को अदिश कहेंगे।

Scatter diagram
प्रकीर्ण आरेख
दो चरों वाले रैखिक सहसंबंध को दिखाने के लिए बिन्दुओं की विधि से प्रेक्षणों के आधार पर तैयार किया गया आरेख।
इसमें एक चर को x-अक्ष पर और दूसरे चर को y-अक्ष पर दिखाया जाता है। फिर इन बिन्दुओं का समंजन करके इन्हें एक रेखा पर दिखाया जाता है।
जब दो चरों के बीच में कार्यकारण संबंध स्पष्ट नहीं होता, तब जिस चर का आकलन करना होता है, उसे y-अक्ष पर लिया जाता है और स्वतंत्र चर को x-अक्ष पर। इस प्रकार के आरेख का चित्र नीचे दिया जाता है:— (DIAGRAM)

Seasonal variation
ऋतुनिष्ठ विचरण
ऐसे अल्पकालीन विचरण जो किसी श्रेणी में एक वर्ष के अन्दर होते हैं।
इस प्रकार के विचरण मुख्यतः जलवायु तथा रीति-रिवाज आदि के कारण उत्पन्न होते हैं।
उदाहरण के लिए गेहूँ के मूल्यों में मई व जून के महीने में कमी हो जाती है। इसी प्रकार दीवाली के अवसर पर फुटकर बिक्री चरम सीमा पर पहुँच जाती है। कृषक की आय सारे वर्ष एक सी नहीं रहती। फसल के बिकने पर वह अधिक वस्तुओं का क्रय करता है, आदि।

Secondary sterility
गौण बंध्यता
ऐसी स्त्रियां जो कम से कम एक बार गर्भवती हुई हों परन्तु बाद में फिर कभी गर्भवती न हुई हो 'गौण बंध्यता' की कोटि में आती हैं।
इस प्रकार की स्त्रियों के बारे में मान्यता है कि वे प्रायः अपने प्रजनन जीवन के प्रारंभ से जननक्षम्य होती हैं किन्तु बाद में वे इस कोटि में प्रवेश कर जाती हैं।
कुछ जनांकिकीविदों का कहना हैं कि इस कोटि में आने के लिए कम से कम एक जीवित प्रसव होना आवश्यक है।


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