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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Value added
मान योजित/मूल्य योजन
सांख्यिकी में इस संकल्पना का यह तात्पर्य होता है कि किसी दिए हुए क्षेत्रक द्वारा एक दूसरे क्षेत्रक के उत्पादन के साधनों से प्राप्त वस्तुओं द्वारा कितना मूल्य जोड़ा गया है या बढ़ाया गया है।
इसे हम सूत्र रूप में xoi+mi के योग या जोड़ के रूप में व्यक्त करते हैं।
इस संकल्पना के अनुसार प्रत्येक क्षेत्रक का प्रवाह दूसरे क्षेत्रकों को अंतिम रुप से दी जाने वाली वस्तुओं तथा उनसे प्राप्त होने वाली वस्तुओं तथा उनके मान योजन के बराबर होता है।

Variable
चर
ऐसा अज्ञात या बुनियादी संकेत जिसका विश्लेषण में कोई भी मान हो सकता है या जो ग्राह्य मानों के एक सेट का रूप धारण कर सकता है।
चर संतत भी हो सकता है और असंतत भी।
संतत चर निर्दिष्ट परास के भीतर ऐसा कोई भी मान धारण का सकता है कि दो क्रमिक मानों का अंतर यथासंभव अत्यल्प हो।
अंसतत चर का मान निर्दिष्ट परिसर के अन्दर निश्चित मान तक घट-बढ़ सकता है।
ऐसे संख्यात्मक अभिलक्षण जिनका परिमाण भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के लिए भिन्न होता है चर कहलाते हैं। अर्थात् चर वे गुण या अभिलक्षण हैं जो परिणाम में अक्षरों को प्रदर्शित करते है और एक विस्तार के अन्तर्गत परिवर्तित या विचलित होते है।

Variance
प्रसरण
बंटन से संबद्ध एक मान।
इसे var x या σ^2 द्वारा व्यक्त किया जाता है।
यह मानक विचलन के वर्ग के बराबर होता है अथवा माध्य से वर्गित विचलन मानों के प्रत्याशित मान के बराबर होता है।
तुल∘ दे∘ standard deviation

Variate transformation
विचर रूपांतरण
कई बार एक विचर को किसी गणितीय समीकरण से जोड़कर दूसरे विचर के रूप में बदल दिया जाता है।
यह इस प्रयोजन से किया जाता है कि किसी विचर के बंटन के फलन को पूर्णतः अथवा निकटतम रूप से किसी ऐसे दूसरे विचर के रूप और गुणों के बंटन के रूप में दिखाना होता है जिसका फलन हमें ज्ञात होता है।
इस तरह यह अज्ञात विचर को ज्ञात फलन के रूप में दिखाने की एक गणितीय विधि है।

Variation between column means
स्तंभ माध्यों के बीच विचरण
दो स्तंभों में दिए गए आँकड़ों के औसत या माध्यों का विचरण ज्ञात करने की विधि।
इसके लिए प्रत्येक स्तंभ के माध्य x̅_(1,) x̅_2…..... और उसके सभी मानों के समांतर माध्य अर्थात सकल माध्य (x̅) के अन्तर को निकाल कर उनका वर्ग लिया जाता है और फिर प्रत्येक स्तंभ में दी गई संख्या से गुणा करके उनका जोड़ निकाला जाता है। इस प्रकार स्तंभ के माध्यों का विचरण ज्ञात किया जाता है।
इसका सूत्र इस प्रकार है:— ∑_1^ka▒〖〖[Ne (x̅e-x̅)〗^2]〗

Variation within columns
स्तंभ अन्तर्गत विचरण
स्तंभ के मूल्यों से स्तंभ के माध्यों के बीच विचरण ज्ञात करने की विधि।
इसको निकालने की विधि यह है कि प्रत्येक स्तंभ में दिए गए अंक और उस कालम के माध्य के बीच के अंतर को लिया जाता है और फिर इस अंतर का वर्ग निकाला जाता है। तत्पश्चात् उस सारे स्तंभ के वर्गीकृत अंतरों को जोड़ लिया जाता है। यह प्रक्रिया बारी-बारी से सभी स्तंभों के लिए की जाती है और फिर सभी स्तंभों का अलग से जोड़ निकाला जाता है।
इसका सूत्र नीचे दिया है — ∑_1^kc▒∑_1^nc▒〖〖(x-xc)〗^2 ]〗

Vector
सदिश
ऐसी रेखा जो एक समतल में बिन्दु P को एक नियत मूल के साथ मिलाती है सदिश कहलाती है।
इसका मूलबिन्दु तथा दिशा निश्चित होती है।

Vector space
सदिश समष्टि
किसी आव्यूह के स्तंभों द्वारा जनित समष्टि।
सदिश समष्टि की संकल्पना का उपयोग आव्यूह कोटि की परिभाषा करने में किया जाता है और आव्यूह को सामान्यतः पंक्तियों और स्तंभों की आकृति के रूप में दिखाया जाता है।
यदि हम आव्यूह को M(X) द्वारा दिखायें, जिसे हम समष्टि का परिसर भी कहते है, तब हम किसी समष्टि Em में Z सदिशों की उपसमष्टि को XZ=O द्वारा दिखा सकते हैं।
उपर्युक्त XZ=O को शून्य समष्टि कहा जाता है तथा इसे N(X) द्वारा लिखा जाता है।

Vetal event
जैव घटना
इसमें जीवित-जन्म, मृत्यु भ्रूण-मृत्यु, विवाह, तलाक, दत्तक-ग्रहण, विधि-सम्मतन, विधिमान्यता देना, विवाहोच्छेदन अथवा कानुनी पृथक्करण आदि जीवन संबंधी अनेक विशिष्ट घटनाएं सम्मिलित हैं।
इनमें जन्म तथा मृत्यु को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है।

Vital rates
जैव दर
ये जैव घटनाओं जैसे जन्म, मृत्यु, भ्रूण-मृत्यु, विवाह, तलाक, दत्तक-ग्रहण आदि की प्रति सहस्र व्यक्तियों की बारंबारता होती है।
इसकी सूचना, रजिस्ट्रेशन-विधि, आवधिक सर्वेक्षण-विधि, या संगणना-विधि द्वारा तैयार जाती है।
जैव-दरों के परिकलन में आयु बंटन का विशेष महत्व होता है।


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