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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Unbiasedness
अनभिनति
यदि प्रत्येक आकार के प्रतिदर्श के लिए हमें E_a मिलता है और वह प्राचल x के तुल्य होता है तो हम यह कहते हैं कि आकलक a प्राचल x का अनभिनत आकलक है।
प्राचल x के आकलक a के प्रायिकता बंटन का कोई माध्य न होने पर इसे E_a द्वारा व्यक्त किया जाता है। जरूरी नहीं है कि प्रत्येक आकलक का ऐसा माध्य हो ही।
यदि प्रतिदर्श में E_a तो हो पर x वह के तुल्य नहीं हो तब हम यह कहते हैं कि उसमें E_(a-x) की अभिनति है।
इस संकल्पना का अर्थमिति और सांख्यिकी में किसी निष्कर्ष या अनुमिति के लिए बहुत महत्व होता है। कोई भी आर्थिक पूर्वानूमान प्रतिदर्श के इस गुणदोष पर निर्भर करता है कि उसमें किसी तरह की अभिनति है या नहीं और यदि है तो वह किस मात्रा तक है।
ऐसी अभिनति को दूर करने के लिए अनेक गणितीय या कलन की विधियाँ प्रचलित हैं।

Unchanged structure
अपरिवर्तित संरचना
ऐसे समीकरणों का समुच्चय जिसमें संरचनागत प्राचलों के मान संभाव्य मान और विक्षोभों की प्राथमिकता में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता।
इसमें प्रत्येक समीकरण में लघुकृत रूप में प्रागोक्ति की अवधि में एक यादृच्छिक घटक होता है।
ऐसी संचरना के व्यस्थित या क्रमबद्ध प्राचलों के ज्ञात होने पर भी निश्चयपूर्वक कोई भविष्यवाणी करना कठिन होता है।

Under determined system
अल्पनिर्धारित निकाय
जब किसी रेखीय मॉडल में ऐसे समीकरण या संबंध दिए हुए हों जिनके मानों को ग्रॉफ पर अंकित करने से ऐसे आरेख बनें जो परस्पर एक दूसरे को कहीं न काटते हों तब यह कहा जाता है कि इन सभी युगपत् संबंधों को एक साथ पूरा करना असंभव है अर्थात इन समीकरणों का कोई हल नहीं ढूंढा जा सकता। ऐसी प्रणाली को अल्पनिर्धारित निकाय माना जाता है।

Under population
जन अल्पता/अल्प जनसंख्या
जब किसी क्षेत्र में जनसंख्या की वृद्धि से या कुछ और लोगों के आने से रहन-सहन का स्तर अथवा प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो हम कहते है कि उस क्षेत्र में जनअल्पता है।
जब इनमें किसी प्रकार की वृद्धि या ह्रास नहीं होता तब हम यह कहते हैं कि यहाँ की जनसंख्या इष्टतम है।

Unemployment rate
बेरोजगारी दर
किसी काम पर न लगे हुए बेरोजगार व्यक्तियों के कुल कार्य योग्य व्यक्तियों के प्रतिशत को बेरोजगारी दर कहा जाता है।
कुल बेरोजगारों की संख्या को श्रम शक्ति की कुल संख्या से भाग करके 100 से गुणा करके यह दर निकाली जाती है।

Unit matrix
मात्रक आव्यूह
ऐसा विकर्ण आव्यूह जिसके प्रमुख विकर्ण के अवयवों का मान 1 होता है जैसे: [■(1&0@0&1)]
तुल∘ दे∘ matrix

Unit vector
मात्रक सदिश
द्वि-विम कार्तीय (Cartesian) प्रणाली में जब निर्देशांक x और y समष्टि में किसी बिन्दु P(x, y) का मान (0, 1) अथवा (1, 0) होता है तो उसे मात्रक सदिश कहा जाता है।
P (1, 1) भी एक अर्थ में मात्रक सदिश होता है। P (0, 0), को शून्य सदिश कहा जाता है।

Urban agglomeration
नगरीय संकुलन
नगरीय संकुलन मानक नगर क्षेत्रों से सटा हुआ ऐसा नगरीकृत इलाका या बस्ती होती है जिसकी जनसंख्या 2500 या उससे अधिक हो। अथवा यदि 2500 से कम आबादी हो तो इसमें कम से कम 100 या उससे अधिक मकान या आवास हों।

Urbanisation
नगरीकरण
भारी संख्या में लोगों का ग्रामीण क्षेत्रों से बाहर जाकर शहरी क्षेत्रों में बसना।
इस घटना या प्रक्रिया को वर्तमान युग की एक प्रमुख जनांकिकीय प्रवृत्ति माना जाता है जिसके चिन्ह हमें विश्व के सभी देशों तथा क्षेत्रों में दिखाई देते हैं।
नगरों की वृद्धि और महानगरों का निर्माण इसी प्रवृत्ति के द्योतक हैं।

Urban-rural classification
नगर-ग्राम वर्गीकरण
समस्त विश्व में भूमि क्षेत्र को दो वर्गों में बाँटा गया है:— (1) नगर क्षेत्र तथा (2) ग्राम क्षेत्र।
इस वर्गीकरण का मूलाधार यह है कि किसी क्षेत्र की अधिकांश जनसंख्या खेती में लगी है या इससे बाहर अन्य धंधों में।
नगर ग्राम वर्गीकरण के विश्व के अलग-अलग भागों में कुछ दूसरे मानदंड भी हैं।
भारत में स्थानीय स्वायत्तशासी संस्थाओं के अन्तर्गत सम्मिलित क्षेत्र नगर-क्षेत्र कहलाते हैं। शेष क्षेत्रों के वर्गीकरण करते समय इन बातों का ध्यान रखा जाता है: (1) जनसंख्या-परिमाण, (2) जनसंख्या का घनत्व तथा (3) गैर कृषि के कामों में लगे व्यक्तियों का अनुपात।
1961 और बाद में 1971 की जनगणना के समय भारत में जिस वर्गीकरण को मान्यता दी गई है उसके अनुसार नगर क्षेत्र के अन्तर्गत निम्नलिखित क्षेत्र आते है: (1) नगर निगमों, नगर पालिकाओं, छावनी बोर्डों, टाउन एरिया या इसी प्रकार की अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं के अधीन क्षेत्र, (2)1961 में जिनकी जनसंख्या 5,000 थी और जिनकी कम से कम 1/5 प्रतिशत जनसंख्या गैर-कृषि धंधों में लगी थी। (3) कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि∘ मी∘ (1000 व्यक्ति प्रति वर्ग मील) के क्षेत्र तथा (4) अन्य क्षेत्र जिनमें चाहे उक्त लक्षण न हों किन्तु जो नगर क्षेत्र घोषित कर दिए गए हों।


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