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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Yate's correction
येट शुद्धि
प्रसामान्य वक्र में जाने वाली शुद्धि जिससे कि इस वक्र के प्रयोग द्वारा प्रायिकता को बढ़ाया जा सके।
इसका उद्देश्य यह होता है कि इसके पश्चात प्राप्त प्रायिकता द्विपद विधि से प्राप्त प्रायिकता के अधिक निकट पहुँच जाती है।
इससे वक्र का अतिसंशोधन भी हो सकता है अर्थात संशोधन के पश्चात् प्राप्त प्रायिकता द्विपद विधि से अधिक भी बढ़ सकती है।
यदि अशोधित मान दोनों विधियों से एक-दूसरे के निकट हों तो हम परिकल्पना को स्वीकार कर सकते हैं अन्यथा इसे अस्वीकार किया जा सकता है।
इस संकल्पना का प्रयोग सांख्यिकीय समानुपात की सार्थकता निकालने के लिए किया जाता है।


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