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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Bourgeois Pichats method
बुर्जुआ पिशा विधि
बुर्जुआ-पिशा विधि स्थिर जनसंख्या के आधार पर जैव दरों की गणना करने की ऐसी अप्रत्यक्ष विधि है जिसमें आयु बंटनों का उपयोग करके जन्म दर की गणना की जाती है। इस विधि से निवल जन्म दर और मृत्यु दर की गणनाएँ की जाती हैं।

Canonical correlation
विहित सहसंबंध
चरों के समुच्चयों के बीच संबंध।
इस विधि का प्रचलन प्रसिद्ध सांख्यिकीविद् होटलिंग (Hotelling) द्वारा किया गया था।
इस विधि में विचारों के दो समुच्चयों के स्थान पर प्रत्येक समुच्चय में विहित विचारों को रैखिक संयोजन के रूप में लिखा जाता है जिसे विहित विचार कहते हैं। फिर इनके बीच सहसंबंध को अधिकतम बनाया जाता है जिसे विहित सहसंबंध कहते हैं।

Capitalization formula
पूँजीकरण सूत्र
किसी स्थायी आमदनी वाली परिसम्पत् का पूँजीकरण सूत्र इस प्रकार माना जाता है।
वर्तमान मूल्य वर्तमान मूल्य = ————— बट्टा दर

Census of population
जनगणना
किसी भी क्षेत्र में निवासियों की समग्र गणना को जनगणना कहते हैं। वस्तुतः यह आंशिक गणना से भिन्न है क्योंकि आंशिक गणना प्रतिदर्श की होती है और समग्र गणना समष्टि की। इसमें प्रयास यह किया जाता है कि सभी व्यक्तियों की गिनती निर्धारित समय के भीतर की जा सके।
भारत में जनगणना प्रति दस वर्षों के बाद की जाती है। पहली जनगणना 1872 में की गई थी और अंतिम जनगणना 1971 में। इसके अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 54.8 करोड़ थी।

Census schedule
जनगणना अनुसूची
जनगणना के समय सूचनाएँ एकत्रित करने के लिए जो प्रपत्र काम में लाया जाता है उसे जनगणना अनुसूची कहते हैं। इनमें अधिकांश अनुसुचियाँ प्रश्नावलियों के रूप में होती हैं।
दूसरी ओर कुछ ऐसी भी अनुसूचियाँ होती हैं जो कार्यकर्ताओं द्वारा अन्य सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के अधार पर भरी जाती हैं।
अनुसूचियों के आगे उनके प्रयोग के आधार पर भी अनेक भेद किए जा सकते हैं—जैसे व्यक्ति-अनुसूची, आवास अनुसूची, सामूहिक अनुसूची या गणनाकार अनुसूची इत्यादि।

Central limit theorem
केन्द्रीय सीमा प्रमेय
इस प्रमेय के अनुसार बहुसंख्य स्वतंत्र यादृच्छिक चरों का जोड़ या औसत, जिनका बंटन एकल प्रकार का होता है और जिनका प्रसरण परिमित होता है, लगभग प्रसामान्यतः बंटित होता है।
इस सिद्धांत का संबंध प्रायिकता बंटन से है। जैसे-जैसे चरों की संख्या बढ़ती जाती है और जैसे-जैसे वह अपरिमित होते जाते हैं यह बंटन वैसे वैसे पूर्णता की ओर बढ़ता जाता है।

Chain base method
श्रृंखला आधार विधि
जब किसी सूचकांक की उत्तरोत्तर कालों में तुलना करनी होती है या एक वर्ष अथवा किसी दूसरी अवधि के आँकड़ों की उससे पूर्ववर्ती वर्ष या संबंधित अवधि के आँकड़ों से तुलना करनी होती है तब प्रत्येक वर्ष या अवधि को गत वर्ष या अवधि से श्रृंखलित किया जाता है।
इस प्रकार श्रृंखला आधार विधि में प्रत्येक वर्ष के लिए पिछले वर्ष के आधार पर नये अनुपातों की रचना की जाती है जबकि सामान्यतः कोई सूचकांक एक नियत आधार वर्ष के लिए परिकलित किया जाता है।

Chain index
श्रृंखला सूचकांक
यह एक ऐसा सूचकांक है जिसमें प्रत्येक वर्ष अथवा वर्ष के किसी भाग के आँकड़े सर्वप्रथम पिछले वर्ष के प्रतिशत के रूप में दिए जाते हैं और फिर इन प्रतिदर्शों को उत्तरोत्तर गुणा करके एक श्रृंखला के रूप में आबद्ध कर दिया जाता है।
श्रृंखला सूचकांकों के रूप में समुच्चयों को भारित करके दिखाने की विधि भी प्रचलित है, जैसे किसी वर्ष में कीमतों और उत्पादन को गुणा करके दिखाना और फिर इन गुणनफलों को प्रतिवर्ष के लिए जोड़ कर पिछले वर्ष के प्रतिशत के रूप में सारणी के अंतिम स्तंभ में दिखाना।

Chi square test
काई वर्ग परीक्षण
यह सार्थकता परीक्षण का एक प्रकार है जिसकी सहायता से किसी परिकल्पना की समंजन-सुष्ठुता की परीक्षा की जाती है।
इस विधि में प्रत्येक वर्ग अंतराल की बारंबारता की तुलना उस बारंबारता से की जाती है जो प्रसामान्य बारंबारता बंटन में उस समय दिखाई देती है जब इन दोनों अंतरालों के माध्य और प्रसरण तथा प्रेक्ष्य बंटन और प्रेक्षणों की संख्या एक समान होती है।
सूत्र में इसे यों दिया जाता है:— X^2=∑〖(f-fc)〗^2/fc यहाँ f=प्रेक्षित बारंबारता और fc=सैद्धांतिक या परिकलित बारंबारता है।

Chronological data
कालानुक्रमी आँकड़े
आँकड़ों को दीर्घ अवधि के लिए कालक्रमानुसार दिखाने की विधि को कालानुक्रमी आँकड़ों की विधि कहते हैं।
ये आँकड़े किन्हीं दो अवधियों में प्रवृत्तियों की तुलना के काम आते हैं।
इसके आधार पर आर्थिक संकेतक तथा उनके आरेख तैयार किए जाते हैं।


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