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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Destabilising expectations
विसंतुलनकारी प्रत्याशा
ऐसी प्रत्याशाएं जो अपने व्यवहार द्वारा अर्थव्यवस्था में अस्थिरता लाती हैं।
जब कोई व्यक्ति मुद्रा के मूल्य में कमी की आशा करता है तब वह अपने पास पड़ी मुद्रा को कम करने का प्रयास करता है। इसके लिए वह अपने धन से वस्तुओं को खरीदता है और अपनी इस प्रत्याशा के कारण कीमतों में वृद्धि के लिए दबाव पैदा करता है।
मुद्रा के मुल्य में वृद्धि की अपेक्षा से वह व्यक्ति इससे विपरीत आचरण करता है और इसले भी संतुलन की स्थिति में गड़बड़ी पैदा हो सकती है।
उपर्युक्त दोनों परिस्थितियों में सटोरियों की अटकल के कारण पैदा होने वाले दबाव को विसंतुलनकारी प्रत्याशा कहा जाता है।

Determinants
सारणिक
किसी m कोटि के वर्ग आव्यूह /A/=(aij) का सारणिक aij द्वारा परिभाषित एक ऐसा वास्तविक मान वाला फलन होता है जिसका समीकरण नीचे दिया जाता है—
/A/=∑± aij a2j ….... amp उपर के समीकरण में ∑ सभी (1,2,------------------, m ) के (i,j,......p ) सम होगा और यदि यह क्रमशः विषम होगा तब इसका चिह ऋण होगा ।

Diagonal matrix
विकर्ण आव्यूह
ऐसा वर्ग आव्यूह जिसके प्रमुख विकर्ण वाले अवयवों को छोड़कर सभी अवयव शून्य होते हैं।
तुल∘ दे∘ matrix

Diagnostic studies
नैदानिक अध्ययन
किसी समस्या के लक्षण, परिमाण व उपायों को सामने रख कर किया गया अध्ययन।
इसका उद्देश्य किसी सामाजिक समस्या जैसे प्रवसन, नगरीकरण तथा परिवार नियोजन आदि के कार्यक्रमों के तकनीकी पहलुऒं तथा कठिनाइयों पर विचार करना होता है और यह पता लगना होता है कि इससे संबंधित नीतियाँ कहाँ तक सफल हुई हैं अथवा उनमें किस प्रकार का परिवर्तन अपोक्षित है।

Difference equation
अंतर समीकरण
ऐसा समीकरण जो आश्रित चर को स्वतंत्र चर के पश्च मूल्यों से संबंधित करके दिखलाता है जैसे:— c_t=〖∝y〗_(t-1)
कोई रैखिक या एकघाती अंतर समीकरण तब अंतर समीकरण कहलाता है जब इसमें स्वतंत्र तथा आश्रित चरों के अतिरिक्त कोई स्वतंत्र गुणाक न हो।
इस समीकरण को तब समांगी समीकरण कहा जाता है जब:— c^t-∝y_t-1=0
यदि इसमें कोई स्वतंत्र गुणांक हो तो से असमांगी समीकरण कहते हैं यथा:— c^t- ∝γ^t-1=β

Difference method
अंतर विधि
जन्म मरण संबंधी आँकड़ों की एक ऐसी अप्रत्यक्ष विधि जिसकी सहायता से हम किसी भी देश की मृत्यु दर ज्ञात कर सकते हैं।
अंतर विधि का आधार दो भिन्न समय के आयु बंटन होते हैं। इन दोनों के ज्ञात होने पर हम निम्नलिखित फार्मूले की सहायता से किसी दी हुई अवधि में मृत्यु दर निकाल सकते हैं।
D_(t⁄2)^t=P^o-P^t t+ यहाँ D_(t⁄2)^t +=t अवधि में t/2 और अधिक आयु में मृत्यु संख्या P∘ = प्रारंभिक जनसंख्या P^t t+ = t अवधि के बाद या अधिक आयु के व्यक्तियों की कुल संख्या (t को प्राय: 10 वर्ष लिया जाता है।)
उन देशों में जहाँ रजिस्ट्रेशन प्रणाली से आधार पर जन्म व मृत्यु दरों का परिकलन में कठिनाई होती है, वहाँ इस विधि का आधुनिक जनांकिकी में बहुधा प्रयोग किया जाता है।
0 से t/2 तक की आयु वर्ग में मृत्यु संख्या अन्य विधियों से ज्ञात कर ली जाती है। इन दोनों को जोड़कर कुल मृत्यु संख्या ज्ञात हो जाती है। इसे मध्यावधि की जनसंख्या से भाग करके मृत्यु दर मालूम की जा सकती है।

Differential equation
अवकल समीकरण
यह एक ऐसा समीकरण होता है जिसमें विभिन्न मात्राओं के अवकलज (derivatives) और अवकल (differentials) शामिल होते हैं।
ऐसे समीकरणों को हल करने के लिए हम इनके फलनीय समीकरण बनाते हैं। प्रत्येक अवकल समीकरण का अपना क्रम तथा घात होता है।
ऐसा गुणनखंड जो एक अनकर समीकरण को ठीक-ठीक या यथा-तथ्य रूप में बदल देता है, समकलन गुणनखंड कहलाता है।

Differential growth
विभेदक वृद्धि
अलग-अलग दर से होने वाली वृद्धि। विभिन्न वर्गों की जनसंख्याओं में होने वाले परिवर्तन को मापने की विधि जिसके द्वारा यह पता चलता है कि नगरीय एव ग्रामीण जनसंख्या परस्पर किस अनुपात में बढ़ रही है, अथवा साक्षरों एवं निरक्षरों की वृद्धि का अनुपात आदि।

Differential migration
भेदक प्रवसन
विभिन्न जनांकिकीय, आर्थिक और सामाजिक वर्गों की जनसंख्या में प्रवसन की दरों के अंतर संबंधी अध्ययन को भेदक प्रवसन कहा जाता है।
विभिन्न प्रवसन प्रवाहों के जनसंख्या संघटन में पाया जाने वाला अंतर भी इस प्रकार के अध्ययन के अंतर्गत सम्मिलित है।
तुल∘ दे∘ migration rate

Differentiation
अवकलन
किसी फलन के स्वतंत्र चर के छोटे-छोटे अन्तरों के परिणाम स्वरूप फलन के परिवर्तन को ज्ञात करने की विधि। सूत्र रूप में इसे यों लिखा जाता है:- (FORMULA)


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