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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Enumeration
गणना
संपूर्ण या समस्त समष्टि की गिनती। जनसंख्या के सन्दर्भ में ऐसी गिनती नियत अवधि पर की जाती है। जैसे दशाब्दिक जनगणना, आदि।
इसमें 10 वर्षों के बाद सारे देश की जनसंख्या की सूचियाँ बनाकर (विधितः) अथवा एक निर्धारित समय पर जहाँ कहीं और जिस किसी भी स्थिति में कोई व्यक्ति मिले उसकी वस्तुतः गिनती की जाती है।

Equation
समीकरण
एक ऐसा बीजगणितीय संबंध या विधि जिसके द्वारा हम यह देखते हैं कि एक चर दुसरे चर पर ठीक-ठीक किस प्रकार से आश्रित है।
समीकरण के दो पक्ष होते हैं। सामान्यतः दाईं तरफ स्वतंत्र चर या चरों को रखा जाता है और बाईं ओर आश्रित चर को समीकरण के दोनों पक्ष चरों के केवल कुछ मानों के लिए ही बराबर होते हैं। समीकरण को संकेतों के रूप में लिखा जाता है।
समीकरण के पदों के घात-मान के अनुसार उसका नामकरण किया जाता है, जैसे एकघाती, द्विघाती, त्रिघाती आदि। प्रत्येक समीकरण का हल अलग-अलग होता है। हल समीकरण को संतुष्ट करता है।

Equation system
समीकरण निकाय
समीकरणों का समाहार। समीकरण निकाय में कई प्रकार के समीकरण हो सकते हैं।
एकघाती समीकरण में आश्रित चर का केवल एक मान होता है।
द्धिघाती समीकरण में आश्रित चर के दो मान होते हैं।
युगपत समीकरण में दो समीकरणों से दो अज्ञात चरों का हल निकाला जाता है।
यदि किसी समीकरण का एक ही हल हो तो उसे अद्धितीय हल (unique solution) कहा जाता है।
यदि किसी समीकरण निकाय में चरों की संख्या के बराबर समीकरण न बन सके तो उसे अनिर्धारित निकाय कहा जाता है और यदि चरों से ज्यादा समीकरणों की संख्या हो तो उसे अतिनिर्धारित कहा जाता है।
यदि समीकरणों की संख्या चरों से कम हो तो उसे अल्पनिर्धारित कहा जाता है।

Equilibrium
संतुलन
जब साम्यावस्था या विश्राम की स्थिति में अल्प परिवर्तन के बाद आर्थिक शक्तियों के प्रभाव के अधीन फिर से पूर्ववत स्थिति में आने की प्रवृति होती है तो इसे स्थिर संतुलन की स्थिति कहा जाता है।
जब अल्प आर्थिक परिवर्तनों का संतुलन की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तो इसे तटस्थ संतुलन की स्थिति कहा जाता है।
जब थोड़े से परिवर्तन से संतुलन की स्थिति एक नया रूप धारण कर लेती है तब अस्थिर संतुलन की स्थिति होती है।
संतुलन की स्थिति में हम यह मानकर चलते हैं कि माँग और पूर्ति वस्तुतः या मौद्रिक रूप से स्थिर होती है अर्थात इनकी अनुसूचियों में शून्य अथवा समानुपाती लोच होती है। संतुलन की स्थिति फर्म का एक लक्ष्य है। संतुलन निम्नलिखित में से किसी भी प्रकार का हो सकता है :— 1. अनन्य, 2. बहुगुण, 3. आंशिक, 4. सामान्य, 5. अल्पकालीन, 6. दीर्घकालीन, 7. माँग सापेक्ष, 8. माँग निरपेक्ष, 9. स्थैतिक, 10. गत्यात्मक।

Equilibrium price
संतुलन कीमत
ऐसी कीमत जिस पर किसी वस्तु की माँग और पूर्ति के वक्र एक दूसरे को काटते हैं।
इस कीमत पर पूर्तिकर्ता और माँगकर्ता दोनों ही वस्तु की एक ही मात्रा को बेचने या खरीदने के लिए तैयार होते हैं।
यदि कीमत इस बिन्दु से कमोबेश माँगी जाती है, तो संतुलन की स्थिति में गड़बड़ी पैदा हो जाती है।
ये कीमतें माँग और पूर्ति की शक्तियों के अधीन अपने आप स्थिर होती हैं और स्थिरता तब तक बनी रहती है जब तक बाजार की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन या विक्षोभ न पैदा हो।

Ergodic theorem
अभ्यतिप्राय प्रमेय
अभ्यतिप्राय प्रमेय के अनुसार यदि दो भिन्न जनसंख्याएं, जिनकी आयु संरचना तथा दूसरे अभिलक्षण भिन्न होते हैं, लम्बे काल तक एक ही मर्त्यता एवं जननता को दर्शाती रहें तो अन्त मॆें उनकी आयु संरचना तथा जैव दरें भी एक जैसी होती हैं।
इस प्रमेय के लागू होने की एक शर्त यह है कि जनसंख्या में प्रवसन बिलकुल न हो।
यह प्रमेय स्थिर जनसंख्या की धारणा का संशोधित रूप है।

Erroneous match
त्रुटिपूर्ण मेल
यह एक प्रकार की मेल या मिलान संबंधी त्रुटि होती है।
इसमें दोहरी अभिलेख विधि में एक विधि से संगृहीत आँकड़ों तथा दूसरी विधि के इकट्ठे किए गए आँकड़ों में किसी ऐसी घटना का मेल पाया जाता है जो वास्तव में घटी नही होती।

Erroneous non-match
त्रुटिपूर्ण अनमेल
जीवन संबंधी घटनाओं के कुछ आँकड़ों को गलती से अनमेल वर्ग में डाल दिया जाना।
वस्तुतः दूसरी विधि से संगृहीत आँकड़ों में जब पहली विधि का की सुमेल विद्यमान होता है तब इसे त्रुटिपूर्ण अनमेल की संज्ञा दी जाती है।

Errors of classification
वर्गीकरण संबंधी त्रुटियाँ
जनगणना के समय किसी व्यक्ति की आयु, वैवाहिक स्थिति, व्यवसाय या अन्य गुणों के बारे में गलत वर्गीकरण करने से उत्पन्न त्रुटियाँ।
ये आँकड़ों के प्रक्रमन के दौरान अन्वेषकों की असावधानी के कारण उत्पन्न होती हैं।

Errors of coverage
समावेशन संबंधी त्रुटियाँ
विवरण संबंधी ऐसी त्रुटियाँ जो जनगणना के समय कुछ व्यक्तियों को छोड़ दिए जाने या उन्हें दो बार गिन लिए जाने के कारण उत्पन्न होती हैं।
छोड़ने या भूल की त्रुटियाँ इन कारणों से उत्पन्न होती हैं:— (क) कुछ गृहवासों में सम्पर्क न हो पाने से तथा (ख) कुछ गृहवासों के सारे सदस्यों की गणना न कर पाने से।


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