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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Estimated variance
आकलित प्रसरण
आकलित प्रसरण आव्यूह के स्तम्भों के अन्तर्गत संयोग प्रसरण को मापने की एक विशेष विधि है।
यह दो ,स्तम्भों के बीच प्रसरण x₁, x₂ ........ के अन्तर से प्रभावित नहीं होता। ऐसे विचरण से आकलित प्रसरण निकालने के लिए उपयुक्त स्वतंत्रता की कोटि से भाग देना पड़ता है।
इस विधि से स्तंभ के माध्यों के बीच प्रसरण और स्तंभ के अन्तर्गत माध्यों के बीच प्रसरण की तुलना की जा सकती है और किसी गुण की विशिष्टता ज्ञात की जा सकती है।

Estimation
आकलन
आकलन का तात्पर्य किसी अज्ञात समष्टि के मानों में से, जैसे किसी नमूने में अधूरे आँकड़ों में से, अनुमिति के आधार पर संख्यात्मक मानों का पता लगाना है।
ये मान किन्हीं निश्चित नियमों के आधार पर आकलित किए जाते हैं। ऐसे नियमों या प्रक्रिया को आकलन कहते हैं।
अज्ञात प्राचल के लिए अगर कोई अकेली संख्या निकाली जाती है तो उसे बिन्दु आकल कहा जाता है और यदि इसके लिए किसी अंतराल का अनुमान लगाया जाता है तो उसे अंतराल आकल कहा जाता है।

Exogenous variable
बहिर्जात चर
किसी अर्थ व्यवस्था या प्रणाली में गैर-आर्थिक कारणों से प्रेरित उन चरों को बहिर्जात चर कहा जाता है जो अर्थव्यवस्था को बदलने में सहायक होते हैं पर उससे प्रभावित नहीं होते।
जैसे, अकाल अथवा वर्षा न होने अथवा राजनीतिक उपद्रवों अथवा ऐतिहासिक कारणों से होने वाले परिवर्तन आदि इस प्रकार के चर माने जाते हैं।

Expansion path
प्रसार पथ
यदि किसी दी हुई उत्पादन सामर्थ्य से सम्बद्ध दो चर ξ_1 और ξ_2 हों और उनका प्रयोग पूर्ण क्षमता युक्त हो, तो विभिन्न उत्पादन सामर्थ्यों से सम्बद्ध ξ_1 तथा ξ_2 का संबंध बताने वाले समीकरण ξ_1 = f(ξ_2) को प्रसार पथ कहते हैं।

Expectation
प्रत्याशा
किसी आर्थिक चर के भावी माप का अनुमान।
आर्थिक व्यवहार के बारे में पूर्वकथन करने के प्रसंग में आर्थिक प्रत्याशाओं का बहुत महत्व है। इनके कारण पूर्ति और माँग के फलनों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। यह व्यवहार आर्थिक क्रिया-कलाप में लगे व्यक्तियों की मनोदशा पर निर्भर होता है और इसका पहले से अनुमान लगाना कठिन होता है जैसे;
(i) व्यवसाय चक्र के समय क्रेता और विक्रेताओं का व्यवहार, (ii) बजट के समय करों की प्रत्याशा में दिखने वाली तेजी-मंदी और (iii) अवमूल्यन के समय विदेशी विनिमय दरों में घट-बढ़ आदि।

Expectation of life
जीवन प्रत्याशा
यह जीवन सारणी में दिया गया ऐसा स्तंभ होता है जो यह बताता है कि कोई नवजात शिशु औसतन कितने वर्ष तक जिएगा जबकि चालू आयु विशिष्ट मर्त्यता की सूची दी हुई हो।
इसे जीवन सारणी व जनांकिकी मॉडलों में e^o_o द्वारा दिखाया जाता है और इसे अन्तर्राष्ट्रीय मृत्यु दरों की तुलनाओं में आयु-मानकित मृत्यु दर से तरजीह दी जाती है।
दे∘ life table

Explicit function
स्पष्ट फलन
ऐसा फलन जिसमें आश्रित चर स्वतंत्र चरों के पदों के रूप में स्पष्टतया उल्लिखित हों।
ऐसे फलन में एक चर का मान निश्चित रूप से अन्य चर या चरों को दिए गए मानों पर आश्रित होता है।
आश्रित चर को समीकरण के बाएं पक्ष में और स्वतंत्र चरों को दाएं पक्ष में रखा जाता है।

Explosive oscillation
विस्फोटक दोलन
जब पूर्ति-वक्र माँग वक्र से कम ढलवाँ होता हैं और प्रतिपुष्टि या पुनर्भरण के प्रभाव के कारण इन दोनों वक्रों की स्थिति कीमतों के ऊँचे घात के कारण बड़ी तेजी से बदलती रहती है तब बाजार में बढ़ती हुई अस्थिर समंजनकारी प्रक्रिया दिखाई देने लगती है। इसे विस्फोटक दोलन की स्थिति कहा जाता है।

Exponential function
चर घातांकी फलन
ऐसा फलन जिसमें एक स्थिर आधार होता है तथा एक चरघातांक होता है जैसे:— y=a^x

Exponential growth
चरघातांकी वृद्धि
जब जनसंख्या की वृद्धि गणितीय चर घातांकी वृद्धि नियम अर्थात P_t=P_(0 ) e^rt के अनुसार होती है।
इस संकल्पना में यह माना जाता है कि आबादी निरंतर एक परिकलित प्रतिशत के अनुसार बढ़ती है तथा वृद्धि की यह दर किसी एक अवधि या जनसंख्या चक्र में स्थिर रहती है।
इस फलन के अनुसार जनसंख्या की वृद्धि के जो अनुमान लगाये जाते हैं उनहे चर घातांकी वृद्धि की संज्ञा दी जाती है।
यह चर घातांकी फलन एक चक्र के रूप में भी दिखाया जा सकता है जिसका समीकरण नीचे दिया जाता है:— P_t=P_(o) e^rt यहाँ P_t= अंतिम जनसंख्या P_(o)= आरंभिक जनसंख्या r= जनसंख्या की निरंतर वृद्धि दर t= समय उक्त समीकरण के आधार पर r=1/t(log_e⁡〖P_t- log_e⁡〖P_(0)) 〗〗


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