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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Demographic book-keeping
जनांकिकी बहीखाता पद्धति
जनसंख्या की वृद्धि के बारे में जन्म, मृत्यु, आप्रवासन और उत्प्रवासन आदि कारणों के आधार पर हिसाब-किताब रखने की पद्धति को जनांकिकी बहीखाता पद्धति कहते हैं।
इसके लिए निश्चित समीकरण को जनांकिकी बहीखाता समीकरण कहते हैं जो निम्नलिखित है —
pt = Po+(B—D)+(mi-MO) यहाँ Po= पूर्व जनसंख्या Pt= अवधि के बाद की जनसंख्या B= कुल जन्मों की संख्या D = कुल मृत्युऒं की संख्या Mi= आप्रवासन संख्या Mo= उतप्रवासन संख्या

Demographic data
जनांकिकी आँकड़े
जनांकिकी आँकड़े जनसंख्या संबंधी ऐसे तथ्यों के आँकड़े होते हैं जिनका मात्रात्मक और गुणात्मक महत्व होता है।
आँकड़े सर्वेक्षण की विधि से अथवा रजिस्ट्रेशन की पद्धति से इकट्ठे किए जाते हैं। संग्रह करने के पश्चात् इनमें से अनिमितताओं को दूर करने के लिए इनकी संवीक्षा या संपादन किया जाता है। तत्पश्चात इनको विभिन्न वर्गों में बाँटकर इनका वर्गीकरण अथवा सारणीयन किया जाता है।
संपादन से लेकर सारणीयन तक की प्रक्रियाओं को परितुलन अथवा मिलान की प्रक्रिया भी कहा जाता है।
प्रारंभिक रूप में इन्हें अशोधित आँकड़े कहा जाता है। इनकी परिशुद्धता की प्रायिकता सिद्धांत के अनुसार परख की जाती है और इनमें से अभिनति तथा त्रुटियों को दूर करके इनको शोधित करके विश्लेषण योग्य बनाया जाता है।

Demographic revolution
जनांकिकी क्रांति
ऊँची उर्वरता दर और मृत्यु दर को विभिन्न उपायों द्वारा अपेक्षाकृत कम दरों में बदलने की सामाजिक प्रक्रिया को जनांकिकी क्रांति की संज्ञा दी जाती है।
इस क्रांति के मुख्य घटक हैं—औद्योगीकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार-प्रसार तथा प्रति व्यक्ति आय या रहन-सहन के स्तर का ऊँचा मानदंड।

Demographic study
जनांकिकीय अध्ययन
इसके अंतर्गत जनसंख्या का आकार, इसके अभिलक्षण तथा स्थानिक वितरण का सांख्यिकी तथा गणितीय विधियों द्वारा विश्लेषण किया जाता है।
इनमें कालिक परिवर्तन लाने वाले कारकों, जन्म, मृत्यु, विवाह, प्रवसन तथा सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन भी सम्मिलित है।

Demographic transition
जनांकिकीय संक्रमण
जनांकिकीय संक्रमण की मूल अवधारणा यह है कि जब से मानव धरती पर आया है उसकी संख्या में कब, कैसे और कितनी वृद्धि हुई है।
सन् 1650 के लगभग धरती पर मनुष्यों की संख्या का आकलन 50 करोड़ किया गया था। 1950 में यह संख्या बढ़कर 2.5 अरब हो गई और 1970 में यह संख्या 3.6 अरब तक पहुँच गई। अनुमान लगाया गया है कि सन् 2000 में ‘न्यूनतम वृद्धि दर’ से यह संख्या 5.3 अरब और ‘उच्चतम वृद्धि दर’ से 6.8 अरब के लगभग हो जाएगी।
कालक्रम से जनसंख्या की एक शताब्दी से दूसरी शताब्दी तक की प्रवृत्तियों का अध्ययन जनांकिकी संक्रांति के नाम से विदित है।
संक्रांति अवस्था में तीन तरह की जनसंख्या संरचनाएं सम्मिलित की जाति हैं यथा:— (1) वास्तविक या संभाव्य त्वरित वृद्धि का काल; (2) ऐसा काल जिसमें बहुत कम या कोई वृद्धि न हो। (3) वास्तविक या संभाव्य ह्रास या जनसंख्या घटने का काल।

Demography
जनाँकिकी
मानव-जनसंख्या का सांख्यिकीय तथा गणितीय विधियों से अध्ययन करने वाला विज्ञान जनांकिकी कहलाता है।
इसमें सामान्यतः किसी देश के निवासियों की संख्या एवं उसकी वृद्धि तथा ह्रास, उनके जन्म एवं मृत्यु की दरों तथा प्रजनन मर्त्यता तथा विवाह आदि के आँकड़ों का अध्ययन किया जाता है और इससे संबद्ध सामाजिक समस्याओं का निदान ढूँढ़ने का प्रयास किया जाता है।
जनांकिकी का संबंध जनसंख्या की रचना, जनसंख्या के प्रादेशिक वितरण और आकार तथा इनमें होने वाले परिवर्तनों और उनके कारणों से है।
जनसंख्या संबंधी परिवर्तनों के अन्तर्गत जन्म, मृत्यु, विवाह, प्रवसन तथा सामाजिक गतिशीलता आदि का विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है।
जनांकिकी विश्लेषण के अन्तर्गत हम जनसंख्या के घटकों में रद्दोबदल तक सीमित रहते हैं जबकि जनसंख्या संबंधी अध्ययन में हम न केवल इसके अन्तर्गत आने वाले चरों के परिवर्तनों बल्कि उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सुजनिक तथा भौगोलिक चरों के संबंधों पर भी विचार करते हैं।
जनांकिकी विश्लेषण और जनसंख्या संबंधी अध्ययन को इस आधार पर एक-दूसरे से भिन्न माना जाता है।

Dependency ratio
आश्रितता अनुपात
आर्थिक दृष्टि से कमाने योग्य और उत्पादन कामों में न लाई जा सकने वाली जनसंख्या के अनुपात को आश्रितता अनुपात कहा जाता है।
यह अनुपात ज्ञात करने के लिए भारत में निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है :— 15 वर्ष से कम आयु की जनसंख्या + 60 वर्ष या अधिक आयु की जनसंख्या = अकमाऊ जनसंख्या आश्रितता अनुपात = ________________________________________ 15 से 5.9 वर्ष की आयु की जनसंख्या = कमाऊ जनसंख्या
देश काल के अनुसार अर्जक वर्ग की आयु की निम्न और ऊपरी सीमा भिन्न-भिन्न देशों में अलग हो सकती है।

Dependent variable
आश्रित चर
ऐसा चर जिसका मान स्वतंत्र चर के दिए गए मान के अनुरूप ज्ञात किया जा सकता है, इसे समीकरण के बाईं ओर दिखाया जाता है।

Depopulation
जनसंख्या ह्रास
आबादी के क्षीण या ह्रास होने की प्रवृत्ति।
आर्थिक विकास में असंतुलन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से जनसंख्या निकटवर्ती औद्योगिक केन्द्रों की ओर जाती रहती है। इसके फलस्वरूप छोटे-छोटे गाँव या कस्बे कुछ काल के बाद इस स्थिति तक पहुंच जाते हैं कि वहाँ आबादी बिलकुल नगण्य रह जाती है।
इस प्रवृत्ति या घटना को निर्जनीकरण की संज्ञा भी दी जाती है।
इसका कारण कभी-कभी दैवी विपत्तिययाँ भी होती हैं जैसे, बाढ़, भूचाल या अन्य भौगोलिक परिवर्तन और युद्ध आदि।

Derivative
अवकलज
किसी बिन्दु पर फलन की तात्क्षणिक परिवर्तन दर।
इसको सुत्र रूप में यों लिखा जाता है lim- (f(x-h)-f(x))/h〗 h→0 कलन गणित में इसे dy/dx भी लिखा जाता है।
किसी बिन्दु पर वक्र की स्पर्श रेखा का संख्यात्मक ढाल उसके फलन की तात्क्षणिक परिवर्तन दर को प्रगट करता है।
अवकलज की संकल्पना अवकलन-गणित में एक प्रमुख आधारभूत प्रत्यय के रूप में की गई है।
किसी सतत फलन में अवकलन स्वतंत्र चर में परिवर्तन के फलस्वरूप आश्रित चर में परिवर्तन की दर को बतलाता है।
रैखिक संबंधों को प्रगट करने के लिए इसका बहुधा प्रयोग किया जाता है। किसी बिन्दु पर रैखिक संबंध प्रायः लचीले हो सकते हैं।
इस प्रकार अवकलज एक गणितीय फलन का ऐसा चर होता है जो उसको दूसरे फलन के रूप में प्रकट करने में सहायता देता है।


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